जवाबदेह बनें संस्थाएं

Last Updated 02 May 2024 01:44:18 PM IST

सर्वोच्च अदालत ने लोक सभा चुनाव से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के समय को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से सवाल किया और जांच एजेंसी से इसका जवाब मांगा।


जवाबदेह बनें संस्थाएं

अदालत ने पांच सवाल पूछे और उनके जवाब लेकर आने का निर्देश दिया। दो सदस्यीय बेंच ने कहा कि स्वतंत्रता बहुत महत्त्वपूर्ण है। आखिरी सवाल गिरफ्तारी के संबंध में है। न्यायिक कार्यवाही के बिना, जो कुछ हुआ उसके संदर्भ में कार्यवाही कर सकते हैं।

अदालत ने पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के लिए कहा कि पक्ष और विपक्ष में निष्कर्ष हैं। हमें बताएं कि केजरीवाल का मामला कहां है। क्या हम सीमा को बहुत विस्तृत बनाते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि जो व्यक्ति दोषी है, उसका पता लगाने के लिए मानक समान हों। केजरीवाल 21 मार्च से शराब नीति घोटाले के मामले में न्यायिक हिरासत के तहत दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं। केजरीवाल इस गिरफ्तारी से पहले ही सार्वजनिक तौर पर कई मर्तबा दोहरा चुके थे कि मोदी सरकार लोक सभा चुनाव के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर सकती है।

दिल्ली सरकार के नेता पहले ही जेल में हैं। माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी की लोकप्रियता विभिन्न राजनैतिक दलों के लिए चुनौती बनती जा रही है। सत्ताधारी दल की यह जिम्मेदारी है कि वह अन्य विपक्षी दलों के साथ पूर्वाग्रह भरा बर्ताव करने से बचे। दंड प्रक्रिया संहिता के अध्याय 5 में स्पष्ट प्रावधान है, कोई भी गिरफ्तारी इसके अधीन ही होनी चाहिए। केजरीवाल अपनी गिरफ्तारी और हिरासत को अवैध बता रहे हैं।

यह कहना गलत नहीं है कि चुनाव के दरम्यान लगातार गिरफ्तारियां हो रही हैं तथा नोटिस भी थमाए जा रहे हैं या छापे तक डाले जा रहे हैं। दरअसल, केजरीवाल की गिरफ्तारी की टाइमिंग को लेकर सवाल उठ रहे हैं, जिनके उत्तर मिलने चाहिए। यह स्थिति लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए उचित नहीं कही जा सकती।

बेशक, न्यायिक व्यवस्था अपनी जिम्मेदारी निभा रही है। सार्वजनिक जीवन में रहने वाला कोई भी राजनीतिज्ञ यदि किसी तरह के घोटाले में शामिल है तो उसे दंडित करने के लिए अदालतें हैं। अदालतोंपर पहले ही लंबित मामलों का दबाव है।

उस पर मोदी सरकार लगातार आरोपियों को भाजपा में शामिल कर उन्हें क्लीन चिट देने का काम कर स्पष्ट संकेत दे रही है। यह अपने आप में गलत संदेश दे रहा है। बावजूद इसके अंतिम फैसला तो जनता के हाथ में है, जो मूकदर्शक जरूर है, लेकिन अपना निर्णय समय आने पर देगी।



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