संदेशखालि का संदेश

Last Updated 21 Feb 2024 01:32:16 PM IST

पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में स्थित गांव संदेशखालि का सियासी माहौल इन दिनों गरमाया है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं।


संदेशखालि का संदेश

यहां जो कुछ घटित हो रहा है उसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि यहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी राजनीतिक पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने अपने पूर्ववर्ती सीपीएम के शासन प्रणाली से किसी तरह का सबक नहीं लिया है। राज्य में सीपीएम के कार्यकर्ता जिस तरह हिंसा और दबंगई की राजनीति किया करते थे, टीएमसी के कार्यकर्ता उन्हीं के पदचिह्नों पर चल रहे हैं। सिंगुर और नंदीग्राम में जमीन अधिग्रहण विरोधी प्रदर्शनों ने ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी को सत्ता में पहुंचाया था।

इस विरोध प्रदर्शन में भी बड़ी संख्या में महिलाओं ने ममता बनर्जी का साथ दिया था। आज संदेशखालि में भी इसी तरह का प्रदर्शन देखने को मिल रहा है जिसमें महिलाएं मुखर हैं और अपनी सुरक्षा एवं न्याय की मांग को लेकर गोलबंद हो रही हैं। अब तक जो महिलाएं ममता बनर्जी का समर्थन कर रहीं थी वे आज उनके विरोध में सड़कों पर उतर आयी हैं। जाहिर है राजनीतिक क्षेत्रों में यह कयास लगाया जा रहा है कि क्या संदेशखालि की जमीन से सिंगूर-नंदीग्राम जैसे सत्ता परिवर्तन की बयार बहने लगी है।

हालांकि इस बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। फिर भी यह तो कहा ही जा सकता है कि संदेशखालि की घटना लोक सभा चुनाव को प्रभावित करने की ताकत अवश्य रखता है। पिछले 5 जनवरी को राशन घोटाले के सिलसिले में टीएमसी के दबंग नेता शाहजहां शेख के घर छापेमारी के लिए गए ईडी के अधिकारियों पर हुए हमले के बाद संदेशखालि सुर्खियों में आया। यहां बड़ी संख्या में महिलाओं ने शेख और उसके समर्थकों पर जमीन हड़पने और उत्पीड़न का आरोप लगाया।

इसके बाद से ग्रामीण शेख की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। मंगलवार को हाईकोर्ट ने शेख को अदालत में समर्पण करने का आदेश जारी किया है। इसी बीच भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने हाईकोर्ट की अनुमति के बाद क्षेत्र का दौरा किया और पीड़ितों से मुलाकात की। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने भी हिंसा प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया। इधर ममता ने भाजपा पर माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाया है। बहरहाल, ममता सरकार को चाहिए कि कानून की धज्जियां उड़ाने वाले ऐसे नेता के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।



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