कांग्रेस छोड़ने वालों की लाइन

Last Updated 14 Feb 2024 01:16:29 PM IST

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण (Ashok Chauhan) कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए हैं। हालांकि पहले से कयासबाजी थी कि वे भाजपा में जा सकते हैं, और मंगलवार को वे भाजपा के रंग में रंग गए।


कांग्रेस छोड़ने वालों की लाइन

चव्हाण का कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाना कोई अकेला मामला नहीं है। भाजपा के केंद्र में सत्तारूढ़ होने के बाद से ही कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं की पूरी कतार है और यह कतार अभी बनी रह सकती है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, बिहार, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश समेत कई राज्यों में अभी और कांग्रेस नेताओं के पार्टी छोड़ जाने की चर्चा है। आम चुनाव निकट हैं, और यही हालात रहे तो कांग्रेस को सक्षम प्रत्याशी खड़े करने में दिक्कत आ सकती है।

लेकिन कांग्रेस का आला कमान पार्टी छोड़ने वालों की खबर से पूरी तरह बेपरवाह बना रहा है। लगता ही नहीं कि उसे अपने नेताओं यहां तक कि मुख्यमंत्री रहे नेताओं तक के पार्टी छोड़ जाने की कोई परवाह हो। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने कांग्रेस में बने रहने को हिम्मत से जोड़ लिया है। वह कई दफा कह चुके हैं कि जिसमें सत्तारूढ़ मजबूत सरकार से टक्कर लेने की हिम्मत हो वही पार्टी में रहें तो कांग्रेस के हित में ही होगा।

दरअसल, कांग्रेस काफी समय सत्ता में रही और कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं खासकर पुराने और अनुभवी कांग्रेसजन के लिए विपक्ष में बैठकर राजनीति करना दुष्कर कार्य जैसा है। सत्ता सुख के लिए वे सत्तारूढ़ पार्टी के साथ जुड़ने के लिए ललक दिखाते रहे हैं। लेकिन इसका दूसरा पहलू ज्यादा हैरत में डालने वाला है। भाजपा विपक्ष के पुराने नेताओं तक को अपने साथ क्यों जोड़ना चाहती है, जबकि इन नेताओं की कोई चमकदार संभावनाएं अब बची नही रह गई हैं।

इसके पीछे एक बात तो यही समझ आती है कि भाजपा इस प्रकार का नैरेटिव सेट करना चाहती है कि देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी का दम भरने वाली कांग्रेस में उसके नेता और कार्यकर्ता अब बने नहीं रहना चाहते।

वह ऐसा परिदृश्य उकेरना चाहती है जिससे लगे कि कांग्रेस में भगदड़ की स्थिति है, और नेतृत्व अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को एकजुट नहीं रख पा रहा तो भला देश को मजबूत नेतृत्व कैसे दे सकेगा। अलबत्ता, इस प्रकार पार्टी नेताओं का अपनी पार्टी छोड़ जाना राजनीति में शुचिता और नैतिकता की बजाय अवसरवादिता का परिचायक है।



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