तेल की कीमतों पर रार
कच्चे तेल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में फिर 80 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई, हालांकि भारतीय बाजार में राष्ट्रीय स्तर पर पेट्रोल व डीजल की कीमतें अब भी स्थिर बनी हुई हैं। राज्यों के शहरों में मामूली परिवर्तन आ सकता है।
तेल की कीमतों पर रार |
सोमवार को ब्रेंट क्रूड ऑयल (यूके) 81.74 डॉलर प्रति बैरल हो गया, जबकि डब्ल्यूटीआई क्रूड (यूएस) 76.38 प्रति बैरल है। पिछले दिनों इनकी कीमतों में गिरावट आई थी। राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 96.72 प्रति लीटर है। डीजल 89.62 पर टिका है। मुंबई में 106.31 रुपए प्रति लीटर पेट्रोल है, डीजल 94.27 है। ध्यान रखें, राज्यों द्वारा लगने वाले टैक्स के कारण शहरों में पेट्रोल/डीजल के दामों में फर्क होता है।
उम्मीद जताई जा रही थी कि फ्यूल उपभोक्ताओं को अगले कुछ दिनों में कीमतें गिरने की खबर मिल सकती है। बशत्रे तेल कंपनियों का मुनाफा बेहतर बना रहे। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही का तेल वितरण कंपनियों को पेट्रोल/डीजल पर बेहतर मुनाफा मिल रहा है, लेकिन डीजल पर तीन रुपए प्रति लीटर के नुकसान के चलते इस मुनाफे में कमी आई। तीन तिमाही तक कंपनियों ने 69 हजार करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया।
कुछ समय पहले तक तेल कंपनियों ने पेट्रोल पर 11 रुपए प्रति लीटर तो डीजल पर 6 रुपए का मुनाफा कमाया है। हालांकि प्रति सिलेंडर गैस पर उन्हें 100 रुपए का नुकसान हो रहा है। हालांकि सरकार का दावा है कि उसने पिछले कुछ समय से उपभोक्ताओं पर तेल की कीमतों का भार बढ़ने नहीं दिया है, परंतु लोगों का मानना है कि एक बार कीमतें बढ़ाने के बाद उन्हें नीचे लाने में कोताही की जाती है।
क्रूड ऑयल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरने की खबरों पर उपभोक्ताओं की उम्मीदें बढ़ जाती हैं, वे दाम गिरने का इंतजार करते हैं। आर्थिक समझ न रखने वाला आम आदमी भी कीमतों के उछाल व महंगाई के गणित को भली-भांति समझता है। वोट वह सरकार को देता है, कंपनियों को नहीं इसलिए सरकार को कंपनियों की नकेल कसनी जरूरी है।
पेट्रोल/डीजल की कीमतों के बढ़ते ही माल ढुलाई, रोजमर्रा की जरूरत की चीजें, परिवहन समेत तमाम चीजों की कीमतों में इजाफा हो जाता है। जो लोग वाहन नहीं रखते हैं, वे भी अपरोक्ष में इस महंगाई का हिस्सा बनते हैं इसलिए तेल की कीमतों को लेकर वे चिंतित ही नहीं रहते बल्कि उम्मीद रखते हैं कि कीमतों में कमी आ सके।
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