गंभीर रूप से बीमार रोगियों के भर्ती से इनकार करने पर नहीं चलेगी मनमानी

Last Updated 04 Jan 2024 12:25:18 PM IST

अस्पताल गंभीर रूप से बीमार रोगियों को उनके या उनके परिजनों के इनकार करने पर गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में भर्ती नहीं कर सकते। स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को इस बाबत दिशा-निर्देश जारी किए।


गंभीर रूप से बीमार रोगियों के भर्ती से इनकार करने पर नहीं चलेगी मनमानी

ये दिशा-निर्देश 24 विशेषज्ञों ने तैयार किए हैं, जिनमें सिफारिश की गई है कि यदि लाइलाज बीमारी का उपचार संभव नहीं है, या उपलब्ध नहीं है और किए जा रहे इलाज का असर, खासकर मरीज के जीवित रहने के लिहाज से, नहीं पड़ रहा है, तो आईसीयू में रखा जाना व्यर्थ की देखभाल या कवायद समझी जानी चाहिए। बेशक, इस प्रकार की सिफारिश आने में विलंब हुआ है क्योंकि इस प्रकार की व्यवस्था बहुत पहले कर ली जानी चाहिए थी।

किसी आपदा या कोरोना जैसी महामारी के दौरान संसाधनों की कमी पड़ जाती है, और इस तरह से आईसीयू भरे रखे जाएंगे तो यकीनन स्वास्थ्य सेवाओं पर न केवल बेवजह का बोझ बढ़ेगा, बल्कि प्राथमिकता पर जिन लोगों को इलाज की दरकार होती है, वे भी जरूरी उपचार से वंचित रह जाएंगे।

किसी मरीज को आईसीयू में भर्ती करने का मानदंड किसी अंग का काम करना बंद करना और मदद की जरूरत या चिकित्सा स्थिति में गिरावट की आशंका पर आधारित होना चाहिए।

हृदय या सन अस्थिरता जैसी किसी बड़ी ‘इंट्राऑपरेटिव’ की स्थिति में या जटिल सर्जरी सामना करने वाले मरीजों को आईसीयू की जरूरत इस सुविधा पर बेवजह के बोझ से अनदेखी रह सकती है। कहना न होगा कि देश में स्वास्थ्य सुविधाएं अपेक्षानुरूप पर्याप्त नहीं हैं, और आबादी का बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित रह जाता है।

ऐसे में आईसीयू व्यवस्था का पहले से होता आया उपयोग सीमित संसाधनों और सुविधाओं का दुरुपयोग ही कहा जा सकता है। इसलिए यह सिफारिश सुविधाओं के किफायती उपयोग के लिहाज से  महत्त्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।

भारत जैसे बनिस्बत कम स्वास्थ्य सुविधाओं वाले देश में यकीनन समयोपयोगी साबित होगी। देश में स्वास्थ्य सेवाएं निजी क्षेत्र द्वारा भी मुहैया कराई जाती हैं, बल्कि कहा जा सकता है कि निजी क्षेत्र सुविधाएं मुहैया कराने और उपचार के मामले में सरकारी क्षेत्र के बरक्स बढ़त लिए हुए है।

आईसीयू का सबसे ज्यादा दुरुपयोग भी इसी क्षेत्र में होता है। संपन्न वर्ग से धन दोहन में आईसीयू को जरिया बनाया जाता है जबकि स्वास्थ्य सेवाओं की समग्र उपलब्धता के लिए आईसीयू का विनियमन किया जाना जरूरी है। अस्पतालों में इससे भीड़ भी छंटेगी।



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