अनकही बातों का पिटारा
भारत के तेरहवें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने उनकी डायरी के हवाले से जीवनी लिखी है जिसकी राजनीतिक हलके में खूब चर्चा हो रही है।
अनकही बातों का पिटारा |
नागपुर में आरएसएस को संबोधित करने वाले पहले राष्ट्रपति रहे मुखर्जी ने संगठन के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार को भारत माता का महान पुत्र बताया था। शर्मिष्ठा ने लिखा है कि उनके पिता का विचार था कि इंदिरा गांधी के बाद नरेन्द्र मोदी एकमात्र ऐसे पीएम हुए हैं, जो लोगों की नब्ज को इतनी तीव्रता और सटीकता से महसूस करने की क्षमता रखते हैं।
राष्ट्रपति बनने के बाद वे दलगत राजनीति से ऊपर थे। उन्होंने डायरी में लिखा-शपथ दिलाने और लोगों से बात करने के कर्त्तव्यों का मैंने पालन किया लेकिन भारी मन से। अब मैं किसी दल से नहीं जुड़ा हूं। मगर मैं कैसे भूल सकता हूं कि चालीस साल से कांग्रेस से जुड़ा हूं। उन्होंने लिखा 2014 में संसदीय दल का नेता चुने के बाद मोदी राष्ट्रपति से मिलने आए।
उन्होंने मुखर्जी के पांव छुए और कहा दादा आप छोटे भाई की तरह मार्गदर्शन और सलाह दें। मोदी के प्रति इस अजीब नरम कोने पर टिप्पणी करते हुए लिखा-वह हमेशा मेरे पैर छूते हैं और कहते हैं ऐसा करने में उन्हें खुशी मिलती है।
मुझे इसका कारण नहीं पता। प्रणब मुखर्जी को कांग्रेस का चाणक्य कहा जाता था और पार्टी के समक्ष आने वाले संकटों को चुटकियों में सुलझाने में महारथी माना जाता था। यह कहना गलत नहीं होगा कि वरिष्ठतम कांग्रेसी होने के नाते वे उस वक्त प्रधानमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे।
मगर उनकी साख और तीक्ष्ण समझ ही आड़े आई। उनके होते गांधी परिवार को अपना आलाकमान वाला रुतबा कायम करने में निस्संदेह दिक्कतें आतीं। हालांकि राष्ट्रपति जैसे सर्वोच्च पद ने उन्हें अति सम्मानजनक स्थान प्रदान किया। वे धीर-गंभीर शख्सियत रहे।
अब उनका परिवार राजनैतिक लाभ के लोभ में या पिता की छवि को और बेहतर बनाने की नीयत से जो कुछ भी प्रचारित/प्रकाशित कर रहा है, उससे प्रणब मुखर्जी की गरिमा और भी निखर सकती। शर्मिष्ठा का अपने पिता की प्रतिष्ठा को अपनी राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाओं की बुनियाद बनाने का पूरा हक है। मगर उन्हें खुद अपनी नीयत और विचारधारा को स्पष्ट करने का जोखिम लेना होगा।
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