सड़क हादसों पर सरकार गंभीर
सड़क हादसों में हुए घायलों के लिए देश भर में कैशलेस इलाज की सुविधा शुरू की जा रही है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार देश में सड़क हादसों में जान गंवाने वालों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है।
सड़क हादसों पर सरकार गंभीर |
मुफ्त और कैशलेस चिकित्सा सुविधा मुहैया कराना संशोधित मोटर वाहन अधिनियम, 2019 का हिस्सा है। इसके तहत पीड़ितों को घटना स्थल के नजदीकी अस्पताल में कैशलेस ट्रामा देखभाल देने की संकल्पना की गई है। इसे गोल्डन ऑवर के दौरान मुहैया कराया जाएगा। हादसे के घंटे भर के भीतर का वक्त काफी अहम माना जाता है, जिसे चिकित्सा जगत में गोल्डन ऑवर कहा जाता है।
इसी क्रम में शिक्षा मंत्रालय स्कूल-कॉलेजों के पाठय़क्रमों में सड़क सुरक्षा को भी शामिल करने को राजी हो गया है। सड़कों के फैलते जाल और निजी वाहनों के बढ़ते प्रचलन के चलते आवागमन की सुविधाएं बढ़ती जा रही हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस वक्त देश में तकरीबन आधी आबादी के पास दोपहिया वाहन हैं, जिनमें से ढेरों बगैर लाइसेंस सड़कों पर फर्राटे भरने और कलाबाजी करने से बाज नहीं आते। गए साल डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों की सड़क हादसों में मौत हुई।
इनमें नशे में मरने वाले वाहन चालक अधिक थे। इन दुर्घटनाओं में गंभीर रूप से घायलों को समय पर उचित इलाज न मिलने के कारण हजारों जान चली जाती हैं। कैशलेस सुविधा के कारण आसपास के अस्पताल घायलों के इलाज में आनाकानी नहीं करेंगे। मंत्रालय की इस पहल से ढेरों जान तो बचेंगी ही, बिला-वजह ना-नुकुर करने वाले अस्पतालों पर भी दबाव बनेगा।
वाहनों के इंश्योरेंस के साथ-साथ वाहन चालकों और उनके सहयात्रियों का भी बीमा जरूरी किए जाने की आवश्यकता पर बल दिए जाने की जरूरत है ताकि दुर्घटना के बाद वाहन पर आने वाले खर्च के साथ पीड़ित पर होने वाली चिकित्सा का अतिरिक्त भार भी न पड़े। छात्रों को सड़क सुरक्षा का ज्ञान देने का निर्णय भी स्वागतेय है।
नाबालिगों को दोपहिया वाहन उपलब्ध कराने वाले अभिभावकों पर भी सख्ती किए जाने की आवश्यकता है। नशेबाज वाहन चालकों के प्रति किसी तरह की नरमी बरतने की जरूरत नहीं है। मगर सड़कों की हालत और गड्ढों की हालत सुधारना भी उतना ही जरूरी है, क्योंकि कई दफा उनके कारण भी दुर्घटनाएं बहुत होती हैं।
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