सही है कार्रवाई
अजनाला कांड के ठीक 22 दिन बाद पंजाब का कट्टरपंथी उपदेशक और ‘वारिस पंजाब दे’ का प्रमुख अमृतपाल सिंह अब पुलिस के निशाने पर है।
सही है कार्रवाई |
पंजाब का माहौल बिगाड़ने की साजिश रचने का आरोप लगने और जांच में पाकिस्तानी एजेंट होने के शुरुआती सबूत मिलने के बाद पुलिस और सुरक्षा बलों ने उसके खिलाफ शिंकजा कस दिया है। एक दिन पहले तो यह खबर भी फैली कि अमृतपाल को पुलिस ने दबोच लिया है, मगर यह खबर गलत निकली। फिलहाल पुलिस ने उसके 78 करीबियों को गिरफ्तार किया है।
उसके भाई और चाचा के सरेंडर करने की भी खबर है। 1980 के दशक में खालिस्तान राष्ट्र की मांग करने वाले जरनैल सिंह भिंडरावाले के कारण पंजाब के हालात काफी खराब थे। चारों ओर अराजकता और अफरातफरी का माहौल था। फिर वैसे ही हालात बनाने की साजिश अमृतपाल के जरिये पाकिस्तान रचने की कोशिश में है।
पुलिस की तफ्तीश में यह पता चला है कि उसे पाकिस्तान की ओर से भारत में हिंसा फैलाने और तनाव बढ़ाने के वास्ते भारी-भरकम रकम दी गई है। करीब एक महीने पहले अमृतपाल ने अपने एक साथी को छुड़ाने के लिए सैकड़ों समर्थकों के साथ अजनाला थाने का घेराव किया था और पुलिस के खिलाफ हिंसक रवैया अख्तियार किया था। उस समय पुलिस की शिथिलता की चहुंओर र्भत्सना हुई थी। अब जबकि अमृतपाल के खिलाफ ढेर सारे सबूत जांच एजेंसियों के हाथ लगे हैं, उसे खुलेआम छोड़ना गलत होगा। पंजाब के हालात हाल के कुछेक वर्षो में खराब हुए हैं।
सीमा पर स्थित यह सूबा काफी संवेदनशील है और पाकिस्तान लगातार इस धत्कर्म में लगा रहता है कि कैसे भारत में अस्थिरता फैलाई जाए। देर से ही सही मगर केंद्र और राज्य सरकार का यह कदम बेहद जरूरी था। उसके बारे में जो भी खबरें सामने आ रही हैं, वह चौंकाने के साथ-साथ डराती भी हैं। मानव बम बनाने की साजिश में शामिल होना सामान्य बात नहीं है।
इसकी विस्तृत रूप से जांच होनी चाहिए। इस बीच, सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (एसजीपीसी) और अकाली दल (बादल) को भी राज्य की शांति के लिए ऐसे देश विरोधी तत्वों का समर्थन करने से बचना चाहिए। राजनीतिक स्वार्थ के वशीभूत होकर किसी अराजक तत्व की हां में हां मिलाना कहीं से भी न्यायोचित नहीं कहा जा सकता है। ऐसे लोगों की गिरफ्तारी से ही देश और समाज में शांति बहाल हो सकती है। बेवजह का समर्थन करना देश के साथ गद्दारी होगी।
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