ट्रेन में आग का सामना करने वाले मध्य प्रदेश के तीरंदाजों ने जीते पदक

Last Updated 15 Mar 2021 07:54:12 PM IST

पिछले दिनों नयी दिल्ली से देहरादून जा रही शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन में आग लगने के कारण करीब से मौत को देखने वाले मध्यप्रदेश के जूनियर तीरंदाजों ने इस घटना में अपने सारे उपकरण जलने के बावजूद राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में तीन पदक जीते। यह जानकारी टीम के मुख्य कोच ने सोमवार को दी।


ट्रेन में आग का सामना करने वाले मध्य प्रदेश के तीरंदाजों ने जीते पदक

मध्य प्रदेश की आठ सदस्यीय रिकर्व पुरूष और महिला टीम 41वीं जूनियर राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिता के लिए देहरादून पहुंचने से एक घंटे पहले शनिवार को आग की चपेट में आ गयी। टेन के ‘सी पांच’ कोच में लगी आग से जान बचाने के लिए तीरंदाजों को दूसरी बोगी में भागना पड़ा लेकिन उनके उपकरण और अहम दस्तावेज जलकर खाक हो गये। उस डिब्बे में खिलाड़ियों के साथ प्रशिक्षक अशोक यादव भी शामिल थे।
खिलाड़ियों को रविवार को नये उपकरण मुहैया कराये गये लेकिन उन्होंने बिना किसी मैच पूर्व अभ्यास के रिकर्व वर्ग में दो रजत और एक कांस्य पदक जीता। व्यक्तिगत रिकर्व महिला रैंकिंग स्पर्धा में रजत पदक जीतने के बाद सोनिया ठाकुर ने अमित कुमार के साथ मिलकर मिश्रित रिकर्व स्पर्धा में भी रजत जीता। अमित कुमार ने व्यक्तिगत रिकर्व पुरूष रैंकिंग स्पर्धा में भी कांस्य पदक जीता। राज्य की कंपाउंड टीम ने भी रजत पदक जीता।

दसवीं कक्षा की छात्रा सोनिया सोमवार को ओलंपिक चरण में कांस्य पदक के करीबी मुकाबले में पिछड़ गयी। टाई-ब्रेकर से निकला यह नतीजा हरियाणा की तीरंदाज के पक्ष में गया।
मध्य प्रदेश तीरंदाजी अकादमी के मुख्य कोच रिचपाल सिंह ने देहरादून से पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘उन्होंने कुछ असंभव सा हासिल किया है। खेल में इस तरह के चमत्कार होते हैं।
सिंह ने कहा कि जब उन्हें इस घटना के बारे में पता चला तो खिलाड़ियों का कुशलक्षेम पुछने के बाद उन्होंने उनके मनोबल को बढने पर जोर दिया।
मध्य प्रदेश प्रशासन और भारतीय तीरंदाजी संघ के सहयोग से तीरंदाजों के लिए पटियाला से नये उपकरण मंगाये गये।
सिंह ने कहा, ‘‘हमें बताया गया था कि उपकरण सुबह दो बजे पहुंच जाएंगे, ऐसे में हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि तीरंदाजों को थोड़ा आराम मिले क्योंकि वे बहुत मुश्किल परिस्थितयों से बाहर निकले थे।’’
उन्होंने बताया कि रात डेढ बजे पटियाला से उनके उपकरण आए और उसके बाद सुबह छह बजे तक उनकी टीम बाणों को काटने तथा उनकी ट्यूनिंग करने में व्यस्त रही और इस दौरान खिलाड़ियों समेत कोई भी नहीं सोया। इसके बाद वे प्रतियोगिता शुरू होने से तीन घंटे पहले सर्वे मैदान (प्रतियोगिता स्थल) पहुंच गये।
रिचपाल ने कहा, ‘‘खिलाड़ियों को अपने तीर और धनुष के साथ सामंजस्य बैठाने में कई महीने लग जाते हैं, ऐसे में नये उपकरण के साथ दो घंटे से कम के अभ्यास के साथ निशाना लगाना और खिताब जीतना असंभव की तरह है।’’
प्रतियोगिता के आयोजक उत्तराखंड तीरंदाजी संघ के उपाध्यक्ष रमेश सेमवाल ने कहा कि मध्य प्रदेश के इन खिलाड़ियों का प्रदर्शन वाकई काबिले तारीफ था। उन्होंने कहा, ‘‘रेलगाड़ी के जलते डिब्बे से बाहर निकलने के बाद उनका यह प्रदर्शन वाकई तारीफ के काबिल है।’’

भाषा
देहरादून/कोलकाता


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment