प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मुख्यमंत्री राहत कोष में 25 करोड़ का योगदान
उत्तराखंड के वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से कोरोना से जंग लड़ने के लिए 25 करोड़ रुपये की धनराशि का योगदान मुख्यमंत्री राहत कोष में दिया है।
उत्तराखंड के वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत |
डॉ. रावत ने धनराशि का चेक गुरुवार को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को प्रदान किया। मुख्यमंत्री ने इस सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।
इसके बाद मीडिया सेंटर में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए डॉ. रावत ने राज्य के नागरिकों, संस्थाओं एवं संगठनों से आग्रह किया कि वैश्विक महामारी की वजह से पैदा हुए इस संकट में अपना यथासंभव आर्थिक योगदान मुख्यमंत्री राहत कोष में दें, ताकि सरकार इससे पर्याप्त संसाधन जुटाकर मजबूती के साथ कोरोना से लड़ाई लड़ सके। उन्होंने कहा कि पिछले साल भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 50 करोड़ की राशि कोरोना काल में मुख्यमंत्री राहत कोष में प्रदान की थी।
उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हर साल पर्यावरण शुल्क लेता है। इससे हुई आमदनी से बोर्ड हमेशा सामुदायिक जिम्मेदारियों को भी बखूबी निर्वहन करता है। बोर्ड का कार्मिकों के वेतन आदि समेत का खर्च 20 करोड़ रुपया है। उन्होंने बताया कि इस व्यय के बाद शेष बची राशि का उपयोग जनहित में भी किया जाता है। इसी मद से आज मुख्यमंत्री राहत कोष में बोर्ड से 25 करोड़ की राशि का सहयोग प्रदान किया है।
पर्यावरण मंत्री ने बताया कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा कोविड संक्रमण की रोकथाम के लिये बेस अस्पताल, कोटद्वार को पांच करोड़ रुपए की राशि भी उपलब्ध कराई गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के पास सीमित संसाधन हैं और कोरोना के खिलाफ लड़ाई लम्बी चल सकती है। उन्होंने वैज्ञानिकों का अनुमान साझा करते हुये कहा कि दूसरी लहर के बाद कोरोना की तीसरी लहर भी आ सकती है। ऐसे में सरकार को दूसरी लहर से निपटने के साथ ही तीसरी लहर के लिए भी तैयार रहना है। एकजुट होकर और सामूहिक सहभागिता से ही यह लड़ाई जीती जा सकती है।
डॉ. रावत ने कहा कहा कि कोरोना संक्रमण को एक साल से अधिक का समय हो गया है। हमें खुद को संभालने के साथ ही इस लड़ाई को जीतने में यथासंभव योगदान देना होगा। उन्होंने बताया कि पर्याप्त धनराशि होने पर ही सरकार और अधिक संसाधन जुटा सकती है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में राज्य सरकार पूरे प्रदेश खासतैार पर पहाड़ी जिलों में ऑक्सीजन प्लांट लगा रही है। हर चिकित्सालय में ऑक्सीजन सिलेण्डर और कंसंट्रेटर मुहैया करवा रही है। आवश्यक चिकित्सकीय उपकरणों व दवाओं की खरीद बड़े पैमाने पर की जा रही है।
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