संभल के शाही जामा मस्जिद के सदर, जफर अली को एसआईटी ने पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया है। इस गिरफ्तारी के बाद जफर अली को गाड़ी में बैठाकर पुलिस ले गई। उनकी गिरफ्तारी के बाद वकीलों ने प्रदर्शन किया।

|
वकील नारेबाजी करते हुए पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करवा रहे थे। इसके अलावा, संभल पुलिस के खिलाफ भी नारेबाजी की गई और गाड़ी के पीछे भागते हुए वकीलों ने अपनी नाराजगी व्यक्त की।
इस मामले पर एडवोकेट शकील अहमद ने कहा कि जफर अली का अब चालान कर दिया गया है और उन्हें चंदौसी ले जाया जा रहा है, जहां उनका मेडिकल परीक्षण कराया जाएगा। शकील अहमद ने यह भी बताया कि वे जफर अली की जमानत के लिए प्रयास करेंगे, क्योंकि पुलिस प्रशासन ने उन्हें बेगुनाह और गलत तरीके से गिरफ्तार किया है। उनके अनुसार, पुलिस को जफर अली को गिरफ्तार करने का कोई अधिकार नहीं था, और यह पूरी कार्रवाई पुलिस प्रशासन की धांधली और गुंडागर्दी का हिस्सा थी। वकील शकील अहमद ने यह स्पष्ट किया कि जफर अली का गिरफ्तार होना पूरी तरह से गलत था और उनके खिलाफ आरोप बेबुनियाद हैं।
बता दें कि इससे पहले कोतवाली पुलिस ने पूछताछ के लिए उन्हें हिरासत में लिया था। पुलिस अधिकारी उनसे पिछले साल नवंबर में हुई हिंसा के बारे में पूछताछ कर रहे थे। कानून-व्यवस्था के मद्देनजर पुलिस बल की भारी तैनाती की गई थी और प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है।
जफर अली के बड़े भाई मोहम्मद ताहिर ने आरोप लगाया था कि सदर को न्यायिक आयोग में बयान देने से रोकने के लिए यह "असंवैधानिक कार्रवाई" हुई है। उन्होंने बताया कि जफर अली को पुलिस जेल भेजना चाहती है। पुलिस चाहती है कि वह बयान न दें। लेकिन वह वही बयान देंगे जो आयोग के सामने दिया है।
मोहम्मद ताहिर ने बताया कि शनिवार को जफर अली को न्यायिक आयोग से सम्मन आया था। उन्हें जाना था। उन्हें रोकने के लिए पुलिस ने "असंवैधानिक कार्रवाई" की है। हम अपनी लड़ाई लड़ते रहेंगे। जो न्यायिक आयोग में कहा है, वही बयान देंगे।
| | |
 |