Maha Kumbh 2025: महाकुंभ के पांचवें स्नान पर्व माघी पूर्णिमा पर संगम नगरी में 2 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी
Maha Kumbh 2025: विश्व के सबसे बड़े सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आयोजन महाकुंभ के पांचवें स्नान पर्व माघी पूर्णिमा पर संगम नगरी में आस्था का जन सैलाब उमड़ा।
![]() महाकुंभ में माघी पूर्णिमा पर 2 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी |
इस स्नान पर्व पर दो करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा, यमुना एवं अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम में डुबकी लगाकर पुण्यलाभ कमाया और इसी के साथ महाकुंभ में स्नानार्थियों की तादाद 48 करोड़ पार कर गयी। माघी पूर्णिमा पर स्नान के दौरान योगी सरकार की ओर से श्रद्धालुओं और संत-महात्माओं पर हेलीकाप्टर से पुष्पवर्षा की गयी। इस स्नान पर्व के साथ संगम की रेती पर चल रहा एक माह के कल्पवास का भी समापन हो गया। शहर से लेकर कुंभ क्षेत्र तक सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम रहा।
माघी पूर्णिमा पर्व पर आस्था के महाकुंभ में चहुंओर श्रद्धालुओं का रेला नजर आया। संगम नोज समेत सभी 42 घाटों पर स्नानार्थियों की भारी भीड़ रही और इसके मद्देनजर सुरक्षा तंत्र द्वारा लगातार चौकसी बरती जाती रही। शहर के चारों तरफ सिविल लाइंस, फाफामऊ, नैनी, झूंसी आदि इलाकों से संगम क्षेत्र आने वाली सड़कें भोर से ही पटी नजर आयीं। भीड़ अधिक होने पर पुलिस प्रशासन ने श्रद्धालुओं को दारागंज, झूंसी और अरैल की ओर डायवर्ट कर क्राउड कंट्रोल किया गया।
माघी पूर्णिमा स्नान के साथ ही संगम की रेती पर कल्पवासियों का माह भर से चल रहा कल्पवास भी समाप्त हो गया। मेला क्षेत्र में कठिन साधना कर रहे 10 लाख से अधिक कल्पवासी त्रिवेणी में स्नान, दान और गंगा मैया का आशीष लेकर अपने-अपने घर को विदा हुए।
महाकुंभ में गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाने के लिए प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु उमड़ रहे हैं। माघ पूर्णिमा का पुण्यकाल 11 फरवरी की शाम 6.55 बजे से शुरू होकर 12 फरवरी की शाम 7.22 बजे तक रहा। इस कारण देश विदेश के श्रद्धालु मंगलवार की रात से ही महाकुम्भनगर पहुंच गये। न किसी ने सूर्योदय का इंतजार किया न पुण्यकाल का। आधी रात त्रिवेणी के सुरम्य तट पर हर कोई माघी पूर्णिमा की महिमा का पुण्य बटोरने की ललक लिए डुबकी मारने लगा। भोर में श्रद्धालुओं की संख्या काफी बढ़ गयी।
सुबह आठ बजे तक मेला प्रशासन के मुताबिक स्नानार्थियों की संख्या एक करोड़ से ऊपर पहुंच गई। स्नान का सिलसिला देर रात्रि तक जारी रहा। माघी पूर्णिमा के पावन मौके पर संगम में पवित्र डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं और संत महात्माओं पर योगी सरकार की ओर से हेलीकाप्टर से पुष्प वर्षा की गयी। खचाखच भीड़ की वजह से रेती पर न कपड़े रखने की जगह थी न ठिठकने की। उसी जन सैलाब में किसी का झोला तो किसी का कपड़ा और किसी के परिवारीजन बिछड़ गये, हालांकि ज्यादातर अपनों से जल्दी ही मिल गये।
बुधवार को महाकुंभ का 31 वां दिन रहा। इससे पहले चार स्नान पर्व बीत चुके हैं। 13 जनवरी से 11 फरवरी की रात्रि तक 46.25 करोड़ से अधिक श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं। माघी पूर्णिमा पर रात्रि आठ बजे तक दो करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने स्नान किया। इसी के साथ महाकुंभ के कुल स्नानार्थियों की तादाद 48 करोड़ पार कर गयी। अब 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर आखिरी स्नान पर्व होगा।
सीएम योगी आदित्यनाथ के विशेष निर्देश पर माघी पूर्णिमा स्नान को सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाने के लिए मेला प्रशासन ने सख्त इंतजाम किए। घाटों पर भीड़ नियंत्रण से लेकर डिजिटल सूचना प्रणाली से श्रद्धालुओं को मंगलवार की रात से ही लगातार महत्वपूर्ण सूचनाएं, दिशा-निर्देश और सुरक्षा संबंधी अलर्ट प्रदर्शित किए जाते रहे।
इससे भीड़ नियंत्रण में काफी मदद मिली और सभी को सुगमता से स्नान का लाभ हुआ। घाटों पर सुरक्षाकर्मियों के अलावा गंगा दूतों, नागरिक सुरक्षा कोर समेत अन्य संस्थाओं के स्वयंसेवक मुस्तैद रहे। वे श्रद्धालुओं को स्नान के बाद रुकने नहीं दे रहे थे। जिससे स्नान घाटों पर ज्यादा प्रेशर नहीं बन पाया और स्नान पर्व सकुशल संपन्न हो गया।
हेलीकाप्टर से पुष्प वर्षा गूंजे जय श्रीराम के नारे
माघी पूर्णिमा पर्व पर बुधवार को संगम तट पर स्नान करने पहुंचे करोड़ों श्रद्धालुओं पर योगी सरकार ने हेलीकप्टर से पुष्प वर्षा कर परंपरा को जारी रखा। जैसे ही गुलाब की पंखुड़ियां श्रद्धालुओं, साधु-संतों और कल्पवासियों पर बरसीं, संगम तट पर जय श्री राम, हर-हर महादेव और गंगा मैया की जयकारों से पूरा वातावरण गूंज उठा।
सुबह आठ बजे जब संगम तट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ स्नान कर रही थी, तभी हेलीकप्टर से पुष्प वर्षा की शुरुआत हुई। गुलाब की पंखुड़ियों से भरी टोकरी जैसे ही श्रद्धालुओं के ऊपर बरसी, वे अभिभूत हो उठे। लाखों श्रद्धालु इस अनोखे क्षण का साक्षी बने और भक्ति भाव में डूब गए। सबसे अधिक पुष्प वर्षा संगम नोज पर हुई, जहां लाखों श्रद्धालु एकत्र थे।
हेलीकाप्टर लगातार कई बार संगम नोज के ऊपर चक्कर लगाकर गुलाब की पंखुड़ियां बरसाता रहा, ताकि हर भक्त इस दिव्य अनुभव का आनंद ले सके। उद्यान विभाग ने इस पुष्प वर्षा के लिए विशेष तैयारी की थी। अधिकारियों के मुताबिक हर स्नान पर्व पर लगभग 20 कुंतल गुलाब की पंखुड़ियों का उपयोग किया जाता है, जबकि पांच कुंतल फूल अतिरिक्त रूप से स्टाक में रखे जाते हैं।
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