कोवैक्सीन के ट्रायल में बच्चों में मिलीं हाई एंटीबॉडी
शहर के स्वरूपनगर क्षेत्र में स्थित एक अस्पताल में बच्चों पर हुए कोवैक्सीन के ट्रॉयल के बेहतर नतीजे सामने आये हैं। अलग-अलग आयु वर्ग के 55 बच्चों को दोनों डोज लगने के 56 दिन बाद जांच में हाई एंटीबॉडी पायी गयी हैं।
कोवैक्सीन के ट्रायल में बच्चों में मिलीं हाई एंटीबॉडी |
वहीं, तीसरे सिरम सैंपल की रिपोर्ट में इन बच्चों में तेजी से एंटीबॉडी बनने के संकेत मिले हैं। इससे बच्चों को कोवैक्सीन लगाने का रास्ता साफ हो गया है। अब आईसीएमआर से हरी झंडी मिलना बाकी है।
कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए कोवैक्सीन अचूक हथियार सिद्ध हो रही है। बीते मई व जून माह में प्रखर अस्पताल में 2 से 6 साल, 6 से 12 और 12 से 18 साल आयु वर्ग के 55 बच्चों पर कोवैक्सीन का ट्रॉयल किया गया था।
भारत बायोटेक की वैक्सीन का यहां दो माह तक ट्रॉयल हुआ था। ट्रॉयल के चीफ डॉ. जेएस कुशवाहा ने बताया, पहली व दूसरी डोज लगने के 56 दिन बाद सिरम सैंपल आईसीएमआर व भारत बायोटेक भेजा गया था, जिसमें 12 से 18 साल तक के बच्चों का सैंपल लिया गया था। उनकी जांच रिपोर्ट काफी चौंकाने वाली है। उनमें बड़ों की तुलना में कोरोना से लड़ने के लिए क्षमता से अधिक हाई एंटीबॉडी पायी गयी हैं। अन्य आयु वर्ग के बच्चों के रिजल्ट भी बेहतर आ रहे हैं। प्रखर अस्पताल ने इन बच्चों की रिपोर्ट आईसीएमआर को भेज दी है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि सितंबर के पहले सप्ताह तक वैक्सीन लगाने की अनुमति मिल सकती है और माह के अंत में बच्चों का टीकाकरण शुरू हो सकता है। ट्रॉयल के चीफ गाइड व पूर्व डीजीएमई डॉ. वीएन त्रिपाठी ने बताया कि 2 से 6 साल तक के 10 बच्चों को वैक्सीन लगायी गयी थी। उनके रिजल्ट भी बेहतर देखने को मिले हैं।
पहले चरण में 12 से 18 साल तक के बच्चों को वैक्सीन लगाने की अनुमति मिलेगी। उसके बाद 6 से 12 और सबसे अंत में 2 से 6 साल तक के बच्चों को वैक्सीन लगाने की अनुमति सरकार देगी।
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