आक्सीजन की कमी से मौतें नहीं होने का दावा करना अति दुर्भाग्यपूर्ण : मायावती
बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने गुरूवार को कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत न होने के केंद्र सरकार के दावे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे अति दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
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बसपा प्रमुख ने गुरूवार को ट्वीट के जरिये केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘‘भारत में आक्सीजन की कमी से कोरोना की दूसरी लहर में खासकर जो अफरातफरी व मौतें आदि हुईं तो उससे निपटने के लिए केन्द्र सरकार को विदेशी सहायता तक भी लेनी पड़ी, यह किसी से भी छिपा नहीं है, फिर भी आक्सीजन की कमी से मौतें नहीं होने का दावा करना अति दुर्भाग्यपूर्ण व अति-दुखद है।‘‘
1. भारत में आक्सीजन की कमी से कोरोना की दूसरी लहर में खासकर जो अफरातफरी व मौतें आदि हुई। तो उससे निपटने के लिए केन्द्र सरकार को विदेशी सहायता तक भी लेनी पड़ी, यह किसी से भी छिपा नहीं है, फिर भी आक्सीजन की कमी से मौतें नहीं होने का दावा करना अति दुर्भाग्यपूर्ण व अति-दुःखद।
— Mayawati (@Mayawati) July 22, 2021
उन्होंने कहा कि ‘‘ऐसे मिथ्या बयानों से जनता में केन्द्र के प्रति अविश्वास भी पैदा हो रहा है कि आगे कोरोना की तीसरी लहर अगर आई तो क्या होगा? जबकि केन्द्र एवं राज्य सरकारों की भी प्राथमिकता व उत्तरदायित्व जनता के प्रति शत-प्रतिशत होना चाहिए व राजनैतिक एवं सरकारी स्वार्थ के प्रति कम।‘‘
2.ऐसे मिथ्या बयानों से जनता में केन्द्र के प्रति अविश्वास भी पैदा हो रहा है कि आगे कोरोना की तीसरी लहर अगर आई तो क्या होगा? जबकि केन्द्र एवं राज्य सरकारों की भी प्राथमिकता व उत्तरदायित्व जनता के प्रति शत-प्रतिशत होना चाहिए व राजनैतिक एंव सरकारी स्वार्थ के प्रति कम।
— Mayawati (@Mayawati) July 22, 2021
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा को सूचित किया कि दूसरी लहर के दौरान विशेष रूप से राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी की भी मौत की जानकारी नहीं दी। मंगलवार को स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी थी।
उन्होंने यह भी बताया ‘‘बहरहाल, कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की मांग अप्रत्याशित रूप से बढ गई थी । महामारी की पहली लहर के दौरान, इस जीवन रक्षक गैस की मांग 3095 मीट्रिक टन थी जो दूसरी लहर के दौरान बढ कर करीब 9000 मीट्रिक टन हो गई।’’
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