योगी आदित्यनाथ ने यूपी के लिए नई जनसंख्या नीति की घोषणा की

Last Updated 11 Jul 2021 02:24:42 PM IST

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर नई जनसंख्या नीति 2021-30 का अनावरण किया।


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी के लिए नई जनसंख्या नीति की घोषणा की

प्रस्तावित नीति के माध्यम से परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत जारी गर्भनिरोधक उपायों की सुलभता बढ़ाने तथा सुरक्षित गर्भपात के लिए उचित व्यवस्था उपलब्ध कराने के प्रयास किये जायेंगे तथा दूसरी ओर उन्नत स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रयास किये जायेंगे। नपुंसकता/बांझपन के लिए सुलभ समाधान और शिशु और मातृ मृत्यु दर को कम करना में इसमें शामिल है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिक समान वितरण के साथ सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए जनसंख्या को नियंत्रित और स्थिर करने के लिए विधेयक लाना आवश्यक है।

उन्होंने इस मुद्दे पर लोगों के बीच जरूरत या जागरूकता पैदा करने को भी रेखांकित किया।

नई जनसंख्या नीति में 2026 तक जन्म दर 2.1 प्रति हजार जनसंख्या और 2030 तक 1.9 करने का लक्ष्य रखा गया है।



नई नीति में प्रमुख बिंदुओं में से एक 11 से 19 वर्ष के बीच के किशोरों की शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण के बेहतर प्रबंधन के अलावा बुजुर्गों की देखभाल के लिए व्यापक व्यवस्था करना है।

राज्य की जनसंख्या नीति 2000-16 की अवधि समाप्त हो चुकी है और अब नई नीति समय की मांग है।

नई नीति में जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए जागरूकता प्रयासों के साथ-साथ डिजिटल स्वास्थ्य मिशन की भावना के अनुरूप शिशुओं, किशोरों और बुजुर्गों की डिजिटल ट्रैकिंग के लिए एक प्रणाली के साथ स्कूलों में 'हेल्थ क्लब' स्थापित करने का एक अभिनव प्रस्ताव है।

नई जनसंख्या नीति तैयार करते समय सभी समुदायों में जनसांख्यिकीय संतुलन बनाए रखने का प्रयास किया गया है। उन्नत स्वास्थ्य सुविधाओं की आसान उपलब्धता और उचित पोषण के माध्यम से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम स्तर तक लाने का भी प्रयास किया जाएगा।

इस बीच, राज्य विधि आयोग ने उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण) विधेयक-2021 का मसौदा भी तैयार किया है, जिस पर जनता 19 जुलाई तक सुझाव दे सकती है।

राज्य विधि आयोग द्वारा जारी उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण एवं कल्याण) विधेयक-2021 के मसौदे में 'बच्चे दो ही अच्छे' पर प्रकाश डाला गया है।

प्रस्ताव के अनुसार, जो माता-पिता अपने परिवार को केवल दो बच्चों तक सीमित रखते हैं और सरकारी सेवा में हैं और स्वैच्छिक नसबंदी करवा रहे हैं, उन्हें दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि, पदोन्नति, सरकारी आवास योजनाओं में छूट, पीएफ में नियोक्ता का योगदान बढ़ाने जैसी सुविधाएं दी जाएंगी।

सरकारी नौकरी में नहीं रहने वाले दो बच्चों वाले दंपतियों को पानी, बिजली, हाउस टैक्स, होम लोन और ऐसी ही अन्य सुविधाओं में छूट देने का भी प्रावधान है।

यदि कानून लागू हो जाता है तो एक साल के भीतर सभी सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों और स्थानीय निकायों के निर्वाचित प्रतिनिधियों को एक हलफनामा देना होगा कि वे इस नीति का उल्लंघन नहीं करेंगे।

मसौदे में प्रस्तावित है कि नियम तोड़े जाने पर चुनाव रद्द किया जा सकता है।

एकल बच्चे को भारतीय प्रबंधन संस्थान और अखिल भारतीय प्रबंधन संस्थान सहित सभी शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में वरीयता मिलेगी, लेकिन यह इन्हीं तक सीमित नहीं है।

स्नातक स्तर तक मुफ्त शिक्षा, बालिका के मामले में उच्च अध्ययन के लिए छात्रवृत्ति और सरकारी नौकरियों में एकल बच्चे को वरीयता अन्य लाभ हैं जो एकल बच्चे वाले जोड़ों को प्राप्त होंगे।

इस अधिनियम को उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण) अधिनियम, 2021 कहा जाएगा और यह पूरे राज्य में लागू होगा। यह राजपत्र में प्रकाशन की तारीख से एक वर्ष के बाद लागू होगा।

एक राज्य जनसंख्या कोष का गठन किया जाएगा, और इसका उपयोग इस अधिनियम को लागू करने के लिए किया जाएगा।

आईएएनएस
लखनऊ


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