गोमती रिवरफ्रंट : CBI की 189 के खिलाफ FIR, 44 जगहों पर छापे
सीबीआई ने लखनऊ में 1,437 करोड़ रुपए की गोमती रिवरफ्रंट परियोजना में अनियमितताओं के संबंध में 189 अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ दूसरी प्राथमिकी दर्ज की है।
गोमती रिवरफ्रंट परियोजना |
सपा की सरकार के दौरान यह परियोजना संचालित हुई थी, तब सपा प्रमुख अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
सीबीआई की टीमों ने मामला दर्ज करने के बाद सोमवार को उत्तर प्रदेश के लखनऊ, आगरा, गाजियाबाद, नोएडा, बुलंदशहर और रायबरेली सहित 13 जिलों में 42 स्थानों पर और पश्चिम बंगाल और राजस्थान में एक-एक जगह छापेमारी की। छापेमारी में राजस्थान का अलवर और पश्चिम बंगाल का कोलकाता भी शामिल है। परियोजना के तीन मुख्य अभियंताओं और छह अधीक्षण अभियंताओं के परिसरों में भी सुबह से ही तलाशी शुरू हो गयी थी। प्राथमिकी में नामित एक आरोपी फ्रांसीसी कंपनी एक्वाटिक शो है। सीबीआई ने 30 नवम्बर, 2017 को मामला दर्ज किया था, जिसकी जांच पहले उत्तर प्रदेश पुलिस कर रही थी।
इस परियोजना में अनियमितता के सिलसिले में सीबीआई ने दूसरी प्राथमिकी दर्ज की है। इससे पहले की प्राथमिकी में 1,031 करोड़ रुपए के कार्य आदेशों की जांच चल रही है। वर्तमान प्राथमिकी में मुख्य अभियंताओं समेत 16 अधिकारियों और 173 ठेकेदारों को आरोपी बनाया गया है। इसमें सीबीआई ने कहा है कि निविदाएं आमंत्रित करने वाले 30 नोटिस जांच के दायरे में हैं। प्राथमिकी में कहा गया है कि इनमें से केवल पांच नोटिस ही अखबारों में प्रकाशित हुए तथा सूचना एवं प्रसारण विभाग को अनुपालना दर्शाने के लिए बाकी के 25 फर्जी पत्र भेजे गए। इसमें एजेंसी ने इस तरह की अनेक अनियमितताओं की जानकारी दी है जिनमें फर्जी दस्तावेजों के आधार पर निविदा देना, निविदा आमंत्रित करने के लिए नोटिस के प्रकाशन में फर्जीवाड़ा करना आदि शामिल है।
इसके मुताबिक, शुरुआती जांच में पता चला है कि एक-एक लाख रुपए से अधिक के 27 कार्य आदेश, निविदा निकाले बगैर ही दे दिए गए। यह सरकार के आदेश का उल्लंघन है जिसमें कहा गया है कि एक लाख रुपए से अधिक का कोई भी ऑर्डर निविदा के बगैर नहीं दिया जा सकता।
| Tweet |