प्रवासी श्रमिकों को उनके शहर, गांव में ही व्यवसाय देगी यूपी सरकार

Last Updated 24 Mar 2021 02:14:56 PM IST

उत्तर प्रदेश के लोगों को रोजगार और व्यवसाय के लिए दूसरे राज्यों की ओर नहीं देखना होगा।


उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो)

कोरोना और लॉकडाउन के दौरान 17 लाख से अधिक प्रवासी कामगारों को रोजगार उपलब्ध करा चुकी योगी सरकार अब उन्हें अपने शहर और गांवों में ही रोजगार और स्वरोजगार के बड़े अवसर उपलब्ध कराने जा रही है। इसके लिए राज्य सरकार ने प्रदेश में मुख्यमंत्री प्रवासी रोजगार योजना लागू की है। योजना के तहत प्रवासी कामगार केवल 5 फीसदी अंशदान कर अपना खुद का उद्यम शुरू कर सकेंगे। योजना के तहत प्रवासी कामगार 50 लाख रुपये तक की इकाई लगा सकेंगे। परियोजना की लागत का 70 फीसदी हिस्सा बैंकों से लोन लिया जा सकेगा जबकि 25 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार अनुदान के रूप में वहन करेगी।

इसके तहत दूसरे राज्यों से वापस आए कामगारों को रोजगार और स्वरोजगार युक्त बनाने के लिए प्रदेश में कार्यरत औद्योगिक और सेवा क्षेत्र की इकाइयों में रोजगार देने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

योजना के तहत ऐसे प्रवासी कामगार, श्रमिक जो किसी विधा इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, मैकेनिक, दर्जी, ड्राइवर, बुनाई, रंगाई आदि में स्किल्ड हैं और अपना स्वत: रोजगार करने के लिए इच्छुक हैं, ऐसे कामगारों, श्रमिकों को स्वरोजगार इकाई परियोजनाएं स्थापित करने के लिए राज्य सरकार मदद करेगी।



मुख्यमंत्री कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार राज्य सरकार प्रवासी कामगारों, श्रमिकों को अपने गांव, शहर में खुद का उद्यम और सेवा व्यवसाय स्थापित करने के लिए 50 लाख तक की इकाई की स्थापना कराएगी। इन परियोजनाओं का वित्त पोषण बैंकों के माध्यम से कराया जाएगा। श्रमिकों, कामगारों को अपना 5 फीसदी स्वयं का अंशदान जमा करना होगा। ऐसे श्रमिकों, कामगारों को भी योजना के अन्तर्गत अनुमन्यता होगी, जो बैंक ऋण न लेकर ऋण की धनराशि अपने निजी श्रोतो से लगाने में सक्षम होंगे।

योजना के अन्तर्गत 25 फीसदी की मार्जिन मनी अनुदान राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा। इस प्रकार बैंकों से परियोजना लागत का 70 फीसदी ऋण उपलब्ध कराते हुए परियोजना स्थापित करायी जाएगी। बैंकों द्वारा केवल ऋण राशि पर ही ब्याज देय होगा।

योजना के तहत उद्योग, सेवा एवं व्यवसाय सभी श्रेणी की इकाइयां स्थापित की जा सकेंगी। सभी प्रकार की व्यवसायिक गतिविधियां योजना में शामिल होंगी। योजना के तहत माल ढुलाई के लिए हल्के व्यवसायिक वाहनों की खरीद भी की जा सकेगी। योजना के लिए सभी प्रवासी कामगार श्रमिक पात्र होंगे।

इन श्रमिकों का आंकडा सेवायोजन विभाग द्वारा एकत्रित किया गया है। इन आंकडों का प्रयोग योजना के क्रियान्वयन के लिए किया जाएगा। स्वरोजगार लगाने और ऋण प्राप्त करने हेतु न्यूनतम कक्षा 8 पास होना अनिवार्य होगा। 10 लाख से अधिक की परियोजना के लिए हाई स्कूल उत्तीर्ण होना अनिवार्य होगा। ऐसे प्रवासी श्रमिक कामगार जो बैंक ऋण न लेकर अपने श्रोतों से धनराशि लगाने में सक्षम होंगे, उनके लिए कक्षा-8 उत्तीर्ण की बाध्यता नहीं होगी। योजना के लिए आयु की सीमा 18 मे 59 वर्ष तय की गई है। आवेदन की ऑन-लाइन व्यवस्था होगी। मौजूदा समय में ऑन-लाइन संचालित मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना में एक लिंक भी बनाया जाएगा। ऑन-लाइन प्राप्त आवेदन-पत्रों का मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना की तर्ज पर परीक्षण के बाद बैंकों को भेजा जाएगा।

योजना के अन्तर्गत आवेदन पत्रों के प्रेषण के उपरान्त कामगारों को स्किल डेवलपमेन्ट मिशन उद्यमिता विकास संस्थान आईटीआई व राज्य और भारत सरकार के प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से 10 दिन का स्किल प्रशिक्षण कराया जाएगा। बैंकों द्वारा ऋण स्वीकृति और प्रथम किश्त के वितरण के बाद विभाग द्वारा मार्जिन मनी मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना की तर्ज पर उपलब्ध करायी जाएगी। मार्जिन मनी राशि बैंक में टीडीआर के रूप में जमा रहेगी और एक वर्ष तक इकाई के सफलतापूर्वक संचालन के बाद लाभार्थी के खाते में समायोजित कर दी जाएगी। बैंक द्वारा केवल ऋण राशि पर ब्याज लिया जागा।

आईएएनएस
लखनऊ


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