मुख्यमंत्री योगी बदलेंगे पश्चिम बंगाल में सियासी पारे का पैमाना

Last Updated 01 Mar 2021 05:15:54 PM IST

पश्चिम बंगाल की सियासी तपिश का पैमाना बदलने जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंगलवार को पश्चिम बंगाल के चुनावी रण में उतरने जा रहे हैं।


उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो)

मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार को योगी मालदा के गाजल कॉलेज में हुंकार भरेंगे। चुनाव की घोषणा के बाद भाजपा पश्चिम बंगाल में सबसे बड़ी चुनावी रैली करने जा रही है। प्राधनमंत्री मोदी के बाद पार्टी के सबसे बड़े स्टार प्रचारक मुख्यमंत्री योगी को मैदान में उतार कर भाजपा नेतृत्व ने पश्चिम बंगाल को लेकर अपनी आक्रामक रणनीति साफ कर दी है।

पश्चिम बंगाल में हिन्दू समुदाय के लोगों पर प्रभाव को देखते हुए भाजपा नेतृत्व ने चुनाव की घोषणा के साथ ही योगी को प्रचार के मैदान में उतार दिया है। भाजपा की रणनीति टीएमसी और उनके नेताओं को उन्हीं के अंदाज में जवाब देने की है। योगी की आक्रामक प्रचार शैली और हिन्दू वोटों पर प्रभाव को देखते हुए बंगाल भाजपा के नेताओं ने योगी के दौरे की बड़ी डिमांड की है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी पश्चिम बंगाल में योगी के चुनावी दौरे का लंबा कार्यक्रम तय करने में जुटी है।



मंगलवार को योगी की पहली चुनावी जनसभा से बंगाल के चुनाव पर केसरिया रंग चढ़ना तय माना जा रहा है। गरीबी और पिछड़ेपन से जूझ रहे पश्चिम बंगाल के चुनावी मंच से योगी यूपी के विकास के मॉडल की झलक दिखलाएंगे। सांस्कृतिक वैभव और आर्थिक रूप से आत्म निर्भर बनते उत्तर प्रदेश में माफियाओं और अपराधियों से निपटने के योगी मॉडल की गूंज भी बंगाल में मंगलवार को सुनाई देगी।

पश्चिम बंगाल में भाजपा की रणनीति योगी मॉडल के जरिए ममता बनर्जी को चौतरफा घेरने की है। बिहार और हैदराबाद में योगी आदित्यनाथ की रैलियों से मिली सफलता को पार्टी अब पश्चिम बंगाल में दोहराने की तैयारी में है। योगी की रैलियों से कोरोना के दौरान पश्चिम बंगाल में प्रवासी मजदूरों की दशा, लव जिहाद, भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस और राम मंदिर निर्माण का मुद्दा पश्चिम बंगाल के सियासी पारे को नए पैमाने पर ले जाएगा।

योगी आदित्यनाथ की छवि फायरब्रांड हिन्दू नेता के साथ ईमानदार व सख्त प्रशासक की है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री मोदी के बाद चुनाव प्रचार के लिए भाजपा की निर्भरता योगी पर सबसे ज्यादा है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हैदराबाद के नगर निकाय चुनाव में प्रचार करने वाले वह बीजेपी के इकलौते मुख्यमंत्री थे। उनके चुनाव प्रचार का असर चुनाव के नतीजों में देखने को भी मिला। भाजपा ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए 48 सीटें जीतीं और ओवैसी की पार्टी को तीसरे नंबर पर धकेलकर दूसरे नंबर की पार्टी बन गई।

इससे पहले बिहार के चुनाव में भी योगी आदित्यनाथ के प्रचार का कमाल लोग देख चुके हैं। सीएम योगी ने बिहार चुनाव में 17 जिलों में 19 सभाएं कर 75 से ज्यादा सीटों के परिणाम प्रभावित किए। आतंक, अपराध और भ्रष्टाचार पर आक्रामक प्रहार करते हुए योगी ने इनमें से 50 सीटों पर एनडीए के उम्मीदवारों को जीत दर्ज करा दी।

आईएएनएस
लखनऊ


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