गंभीर यातनाओं की शिकार हथिनी ‘एम्मा’ को वन विभाग ने बचाया, मथुरा के हाथी संरक्षण केंद्र को सौंपा

Last Updated 06 Jan 2021 04:22:39 PM IST

झारखण्ड में धनबाद के वन विभाग ने 40 वर्षीय हथिनी ‘एम्मा’ को उसके अनधिकृत मालिकों से मुक्त कराकर उत्तर प्रदेश के वन विभाग के सहयोग से उसे मथुरा के हाथी संरक्षण केंद्र को सौंपा है।


पैरों में भीषण दर्ज एवं ‘ऑस्टियोआर्थराइटिस’ जैसी जोड़ों की गंभीर बीमारी से पीड़ित एवं गंभीर रूप से कुपोषित इस हथिनी को एक गैरसरकारी संस्था द्वारा संचालित हाथी संरक्षण केंद्र पर लाकर उसका उपचार कराया जा रहा है।

मथुरा के जिला वन संरक्षण अधिकारी रघुनाथ मिश्रा ने बताया, ‘‘हथिनी का ‘वाइल्डलाइफ एसओएस टीम’ की देखरेख में उपचार चल रहा है। उससे दिन भर काम करवाने के बाद रात में उसे कसकर बांध दिया जाता था। जिसकी वजह से वह लेटने और आराम करने में भी असमर्थ थी।’’

उन्होंने बताया कि उसकी हालत की जानकारी मिलने पर झारखंड और उत्तर प्रदेश दोनों राज्यों के प्रमुख वन्यजीव वार्डन ने बीमार हथिनी को तत्काल लाने की अनुमति जारी की, इसके बाद नए साल की पूर्व संध्या पर एक दल को मथुरा से धनबाद के लिए रवाना किया गया।

पशुचिकित्सा सेवाओं के उप-निदेशक डॉ. इलैयाराजा ने बताया है कि वर्षों की उपेक्षा और र्दुव्‍यवहार ने उसके स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाला है। उन्होंने बताया कि उसके पैरों में कांच, कीलें और पत्थर के टुकड़े घुसे थे, जो निकाल दिए गए हैं।

कुपोषण के कारण उसकी स्वास्थ्य स्थिति भी काफी खराब है। 40 वर्षीय इस हथिनी से काम लेने के लिए उसके मालिक उसे देशी शराब पिलाते थे।

इसके मालिकों द्वारा इसके साथ की जा रही क्रूरता के बारे में हाथी संरक्षण केन्द्र फरह के निदेशक बैजू राज ने बताया कि इस 40 वर्षीय हथनी की जिन्दगी में राहत के पल बहुत ही कम थे, उसे भीख मांगने, धार्मिक जुलूस, शादी समारोह, पर्यटक सवारी जैसी गतिविधि के लिए नियमित रूप से इस्तेमाल किया जाता था। रात में, उसे कसकर बाँध दिया जाता था जिसकी वजह से वह लेटने और आराम करने में असमर्थ थी। उसे मिठाइयों और तले हुए खाद्य पदार्थ से निर्मित अस्वस्थ आहार खिलाया जाता था।

उन्होंने बताया कि हथनी के पैरों में दर्द के बावजूद उसे देशी शराब पिला कर काम करने के लिए मजबूर किया जाता रहा। हथिनी के मालिकों स्वीकार किया कि वे उसे उचित चिकित्सा उपचार नहीं दिला सकते थे। उसके मालिकों का कहना था कि स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए वे कैद में रखे हाथियों को शराब और तम्बाकू तक का सेवन कराते है जब कि चिकित्सकों के अनुसार यह शराब हाथी के लिए किसी विष से कम नहीं होती। वैसे भी इस तरह की अमानवीय हरकत खतरनाक साबित हो सकती है, क्योंकि  भीड़भाड़ वाले इलाके में हाथी अनियंत्रित भी हो सकते है तथा निर्दोष दर्शकों की जान खतरे में पड़ सकती है।

भाषा/वार्ता
मथुरा


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