जातिवाद की राजनीति करते हैं उप्र के मुख्यमंत्री : संजय सिंह
यूपी चुनाव अभी दूर है, लेकिन अभी से सियासी मोर्चाबंदी शुरू हो गई है। राम बनाम परशुराम को मुद्दा बनाकर ताल ठोंकने की कवायद चल रही है। सोशल इंजीनियरिंग के फॉमरूले पर हर पार्टी काम कर रही है। ऐसे में शक पैदा होना लाजिमी है कि कानून व्यवस्था, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी सवाल कहीं एक बार फिर पीछे न छूट जाएं। ‘आप’ के राज्यसभा सदस्य व यूपी के प्रभारी संजय सिंह इन दिनों जोर-शोर से यूपी की बदहाल व्यवस्था को मुद्दा बनाकर योगी सरकार को घेर रहे हैं। संजय सिंह से हमारे मुख्य संवाददाता रविशंकर तिवारी ने खास बातचीत की है। पेश हैं प्रमुख अंश :
‘आप’ के राज्यसभा सदस्य व यूपी के प्रभारी संजय सिंह |
आप पर आरोप है कि यूपी में जातिवादी राजनीति को हवा दे रहे हैं?
बिल्कुल असत्य आरोप है। उप्र के मुख्यमंत्री जातिवाद की राजनीति करते हैं। यूपी में ठाकुरों की सरकार चल रही है। मेरा सवाल सिर्फ इतना है कि वो ठाकुरों की राजनीति कर रहे हैं, करें, लेकिन ब्राrाणों पर अत्याचार न करें। प्रदेश के दलित, यादव, गुर्जर, भूमिहार, मुसलमान और अन्य जातियों के भी वे मुख्यमंत्री हैं, लेकिन दुर्भाग्य से वे ठाकुरवादी हो गए हैं। यह बताइए, प्रभात मिश्रा 12वीं कक्षा का छात्र था, उसे एनकाउंटर में मार दिया जाता है। प्रयागराज में चार ब्राrाणों की हत्या हो जाती है, यह कैसा राम राज्य है। प्रभु श्रीराम ने केवट, सुग्रीव, नल, नील, सबको साथ लिया था। राम के आदशरे से मुख्यमंत्री को सीख लेनी चाहिए। सवाल उठाने पर मुख्यमंत्री नमूना कहते हैं। यही उनकी धारणा है।
आपने आरोप लगाया कि पार्टी दफ्तर योगी सरकार ने खाली करा दिया है, जबकि उसी दिन मकान मालकिन ने मीडिया के सामने आकर कहा कि रेंट एग्रीमेंट खत्म हो गया था, इसलिए मकान खाली कराने को कहा है, कहां तक सच्चाई है?
देखिए, यह मुख्यमंत्री की पुलिस है। दबाव बनाकर किसी से कुछ भी कहलवा सकती है। जो ऑफिस लखनऊ में लिया था, वहां तीन-चार बार प्रेस कांफ्रेंस की, तब तक कोई आपत्ति नहीं थी। अचानक ऑफिस में ताला लगा दिया जाता है। मुख्यमंत्री जी कुछ भी करा सकते हैं।
आपके खिलाफ यूपी में नौ एफआईआर हो चुकी हैं, आपको डर नहीं लगता?
मैं तो कहता हूं कि यूपी के सभी थानों में मुख्यमंत्री जी मेरे खिलाफ एफआईआर करा दें, मैं डरने वाला नहीं हूं, मैं खुलेआम घूम रहा हूं, क्यों नहीं उप्र सरकार की पुलिस गिरफ्तार कर रही है। योगी जी से क्राइम थम नहीं रहा है, कोरोना बेकाबू है। कोरोना और क्राइम में स्पर्धा चल रही है। मुख्यमंत्री जी ने टीम-11 बनाई है (व्यंग्यात्मक लहजे में)। यह टीम क्रिकेट मैच के लिए बनाई है अथवा किस काम के लिए, पता नहीं। इनके अधिकारी मीटिंग में वीडियो गेम खेल रहे हैं। भाजपा विधायक देवमणि दुबे और गोरखपुर से भाजपा विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल खुद ही योगी सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं। भाजपा के कई ब्राrाण विधायक मुख्यमंत्री की कार्यशैली से दुखी हैं।
कोरोना को लेकर तो मुख्यमंत्री की प्रशंसा हो रही है तो फिर आप कैसे आरोप लगा रहे हैं?
यूपी में नो टेस्ट, नो कोरोना, नो एफआईआर, नो क्राइम, के फॉमरूले पर योगी सरकार काम कर रही है। कोरोना से लड़ने के लिए उन्हें दिल्ली की केजरीवाल सरकार से सीख लेनी चाहिए। दिल्ली सरकार की तारीफ पीएम मोदी कर रहे हैं और योगी जी बुराई कर रहे हैं। दिल्ली में 90 प्रतिशत रिकवरी रेट है। दिल्ली में देश का पहला प्लाज्मा बैंक बनाकर मरीजों को फायदा पहुंचाया जा रहा है, जबकि यूपी में दो-दो मंत्री कोरोना से अपनी जान गंवा चुके हैं। प्रदेश सरकार व स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही है। मैंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना व पीजीआई के डॉयरेक्टर के खिलाफ एफआईआर कराने के लिए पुलिस आयुक्त को तहरीर दी है।
यूपी के लिए आपके पास क्या एजेंडा है, सांगठनिक तौर पर आप कहां खड़े हैं?
‘आप’ कार्यकर्ता गांव-गांव में जाकर आंशिक रूप से बीमार व्यक्ति की ऑक्सीजन जांच करा रहे हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य की हालत बदतर है। सरकार के स्कूलों में बकरी और भैंस बांधी जा रही हैं। मिड डे मील के नाम पर घटिया खाना दिया जाता है। हम यूपी के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा मुहैया कराने के लिए संघर्ष करेंगे। दिल्ली की शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं रोल मॉडल हैं, जिसकी प्रशंसा दुनियाभर में हो रही है। यूपी में भी दिल्ली जैसी व्यवस्था हो, ऐसा प्रयास करेंगे। किसानों और गांव में रहने वालों को मुफ्त बिजली देंगे, किसानों के ऋण माफ करेंगे। जहां तक संगठन का सवाल है तो जिला स्तर पर आम आदमी पार्टी का संगठन है, बूथ कमेटियां बना रहे हैं।
आम आदमी पार्टी यूपी में गैर-भाजपा दलों के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ेगी या अपने बूते?
अभी गठबंधन को लेकर मन में कोई सवाल नहीं है। आम आदमी पार्टी अपने बूते उत्तर प्रदेश की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। हालांकि प्रदेश की जनता से राय लेने के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता यूपी को लेकर फैसला करेंगे।
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