कहना मुश्किल है, किसने किसका शोषण किया : इलाहाबाद उच्च न्यायालय
पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद द्वारा विधि छात्रा के महीनों तक यौन शोषण के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि ‘यह कहना मुश्किल है कि इसमें किसने किसका शोषण किया है।’
पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद (file photo) |
न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने सोमवार को भाजपा नेता चिन्मयानंद को जमानत देते हुए कहा, ‘वास्तव में दोनों ने एक-दूसरे का इस्तेमाल किया है।’
न्यायमूर्ति चतुर्वेदी ने इस मामले की सुनवाई शाहजहांपुर से लखनऊ की निचली अदालत में स्थानांतरित कर दी है। दरअसल छात्रा ने आशंका जताई थी कि मामले की सुनवाई चिन्मयानंद के पैतृक शहर शाहजहांपुर में होने पर वह अपने रसूख से इसे प्रभावित कर सकते हैं। चिन्मयानंद के ट्रस्ट द्वारा संचालित शाहजहांपुर विधि महाविद्यालय में पढ़ने वाली छात्रा ने ही उन पर महीनों तक यौन शोषण करने का आरोप लगाया है। नेता को बलात्कार (370-सी) के आरोप में 20 सितम्बर, 2019 को गिरफ्तार किया गया।
यह धारा उस मामले में लागू होती है जब आधिकारिक रूप से शक्तिशाली पद पर बैठा कोई व्यक्ति अपने अधिकार का दुरुपयोग कर महिला को अपने साथ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करता है। इसी से जुड़े एक अन्य मामले में यौन शोषण पीड़िता पर आरोप है कि उसने चिन्मयानंद से पांच करोड़ रुपए की वसूली करने का प्रयास किया था। उच्च न्यायालय ने छात्रा को चार दिसम्बर, 2019 को जमानत दे दी थी।
सोमवार को चिन्मयानंद की जमानत याचिका मंजूर करते हुए न्यायमूर्ति चतुर्वेदी ने उन आरोपों पर संज्ञान लिया कि छात्रा और उसके दो मित्रों ने कुछ वीडियो के माध्यम से नेता को ब्लैकमेल करने का प्रयास किया था। छात्रा ने नेता की मालिश करने के दौरान ये वीडियो बनाए थे।
हालांकि, छात्रा का आरोप है कि वह चिन्मयानंद के ‘गुंडों’ की धमकी से डरकर वहां गई थी। बाद में उसने वीडियो क्लिप बनाने के लिए ‘स्पाई कैमरों’ का इस्तेमाल किया। न्यायाधीश ने इस पर भी संज्ञान लिया कि छात्रा का परिवार आरोपी व्यक्ति के उदार व्यवहार से लाभान्वित हुआ है। अदालत ने कहा, ‘मौजूदा हालात में ऐसा लगता है कि यह मामला पूरी तरह से ‘किसी लाभ के बदले कुछ काम करने’ का है।
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