Samaylive.com की खबर पर फिर लग सकती है मुहर, Sachin Pilot की नई पार्टी का किया था एलान
राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सचिन पायलट आजकल सुर्ख़ियों में हैं। हालांकि सुर्ख़ियों में वो पिछले कई महीनों से हैं लेकिन इस बार वो किसी ख़ास वजह से चर्चाओं में बने हुए हैं। ऐसी जानकारी मिल रही है कि उन्होंने अपनी नई पार्टी बनाने का मन बना लिया है।
राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सचिन पायलट |
वैसे यहाँ बता दें कि सहारा समय लाइव डाट काम ने 9 मई के अपने एक लेख में इस बात की जानकारी दे थी कि सचिन पायलट अपनी नई पार्टी बना सकते हैं। क्यों बनायंगे, यह भी बता दिया था। उस लेख में पार्टी बनाने के पीछे के कारणों का भी खुलासा कर दिया गया था। यानी उनकी पार्टी बनने का मतलब सहारा समय की खबर पर मुहर लगना है।
सचिन पायलट 2020 से ही कुछ अलग करने के मूड में हैं । 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद वो मुख्यमंत्री बनना चाहते थे। चुनाव के समय वो राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे। उन्हें शायद उम्मीद थी कि अगर कांग्रेस राजस्थान में जीतती है तो उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया जायेगा। वहां कांग्रेस की जीत भी हो गई थी। मुख्यमंत्री को लेकर बहुत दिनों तक मंथन भी होता रहा। लेकिन पार्टी हाईकमान ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाना ज्यादा बेहतर समझा। जैसे-तैसे सचिन पायलट, उस समय पार्टी हाईकमान की बात मानकर उपमुख्यमंत्री बनने को राजी हो गए थे, लेकिन उनकी मुख्यमंत्री बनने की लालसा ख़तम नहीं हुई थी। जिसका नतीजा यह रहा कि उन्होंने लगभग डेढ़ साल के बाद ही बगावती तेवर अपना लिया था। बहुत दिनों तक राजस्थान में हंगाम होता रहा। कुछ समय तक ऐसा लगने लगा था कि शायद कांग्रेस की सरकार गिर जायेगी, लेकिन किसी तरह से मामला शांत हो गया था और कांग्रेस पर आया राजनैतिक संकट दूर हो गया था। सचिन पायलट भी शांत बैठ गए थे ।
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अभी कुछ माह पहले सचिन पायलट ने एक बार फिर से अपना तेवर दिखाना शुरू कर दिया था। उन्होंने अपनी ही सरकार के खिलाफ एक बार फिर से बगावती तेवर अपना लिया था। हालांकि इस बार उन्होंने यह कहकर अपना विरोध प्रकट किया था कि वो वसुंधरा सरकार के दौरान हुए घोटाले की जाँच करवाना चाहते हैं, इसलिए अपनी ही सरकार से उस घोटाले की जाँच करवाने की मांग कर रहे हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच पैदा हुए मतभेद की ख़बरें खूब आ रही थीं, लेकिन दोनों नेताओं को लेकर भ्रम की स्थिति हमेशा बनी रही।
अभी हाल ही में अशोक गहलोत और सचिन पायलट दिल्ली आये थे। उन दोनों नेताओं की पार्टी हाईकमान से अलग-अलग बैठकें भी हुई थीं। बाद में कांग्रेस के महासचिव के सी वेणुगोपाल ने मिडिया के सामने आकर बयान देकर यह बता दिया था कि दोनों नेताओं के बीच अब कोई मतभेद नहीं है। कांग्रेस राजस्थान विधानसभा का आगामी चुनाव मजबूती से लड़ेगी। के सी वेणुगोपाल के ब्यान के बाद यह माना जाने लगा था कि अब सब कुछ ठीक हो गया, लेकिन वैसा हुआ नहीं, जैसा कि देश के लोग समझ रहे थे।
अब चर्चा यह है कि सचिन पायलट ने अपनी नई पार्टी का गठन कर लिया है। उनकी नई पार्टी का नाम भी तय हो गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक नई पार्टी का नाम प्रगतिशील कांग्रेस पार्टी है। ऐसा माना जा रहा है कि सचिन पायलट अपनी नई पार्टी का एलान 11 जून को करेंगे, क्योंकि 11 जून को उनके पिता राजेश पायलट की पुण्य तिथि है। सचिन पायलट का भाजपा में जाने की अटकलें भले ही लगाई जाती रही हों लेकिन वो भाजपा में नहीं जा सकते। सहारा समय ने 9 मई के अपने उस लेख में विस्तार से बता दिया था कि सचिन पायलट क्यों नहीं जाएंगे भाजपा के साथ।
सचिन पायलट को सिर्फ और सिर्फ राजस्थान का मुख्यमंत्री बनना है। अगर वह भाजपा में जाते भी हैं तो उन्हें भाजपा मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार कतई नहीं बनाएगी। ऐसे में उनके पास एक ही विकल्प बचता है, नई पार्टी बनाकर चुनाव मैदान में उतरने का। अब सवाल यह पैदा होता है कि अगर सचिन पायलट की पार्टी बन जाती है तो आगामी चुनाव में वह किसको ज्यादा नुकसान पहुंचाएंगे। सचिन की नई पार्टी राजस्थान में पूर्ण बहुमत हासिल कर लेगी, फिलहाल कहना मुश्किल है, लेकिन अगर उनकी पार्टी ने ठीक-ठाक प्रदर्शन कर लिया तो सचिन किंग मेकर की भूमिका में आ सकते हैं। संभव है कि मुख्यमंत्री बनने की सूरत में वो भाजपा से समझौता भी कर लें। कुलमिलाकर इस बार राजस्थान विधानसभा का चुनाव बड़ा ही दिलचस्प होने जा रहा है।
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