राजस्थान के सूरजपुरा गांव में पहली बार घोड़ी पर चढ़ा दलित दूल्हा
भारत को आजादी मिले सात दशक से अधिक हो गए हैं, लेकिन ग्रामीण भारत के कई हिस्सों में अभी भी जाति व्यवस्था कायम है।
राजस्थान के सूरजपुरा गांव में पहली बार घोड़ी पर चढ़ा दलित दूल्हा |
मंगलवार को राजस्थान के जयपुर जिले के विराटनगर में एक छोटे से गांव सूरजपुरा में पहली बार कोई दलित दूल्हा घोड़ी पर चढ़ा।
इस गांव में आजाद भारत के इतिहास में पहली बार किसी दलित दूल्हे ने हिंदू परंपरा के अनुसार घुड़चढ़ी की रस्म अदा की। इससे पहले गांव में उच्च जाति के लोगों ने कथित तौर पर कभी भी किसी दलित को घोड़ी पर नहीं चढ़ने दिया था।
उच्च जाति के लोग इसमें कोई हस्तक्षेप न कर सके, इसलिए बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी घुड़चढ़ी के साथ चले।
ग्रामीणों के अनुसार, इस गांव ने आजादी के 73 साल बाद भी इससे कभी किसी दलित दूल्हे को घोड़े पर सवार नहीं देखा था।
इस बार, प्रेमचंद बलाई के पुत्र दूल्हे कैलाश चंद ने विधायक इंद्रराज गुर्जर और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखते हुए उनकी शादी में कड़ी सुरक्षा प्रदान करने का आग्रह किया। इसके बाद यह आजादी के बाद पहली घटना है, जब किसी दलित दूल्हे ने इस गांव में घोड़ी की सवारी की है।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, कोटपूतली, रामकुमार कस्वा ने कहा कि दूल्हे ने लिखित में दिया था कि वह पुलिस सुरक्षा चाहता है, क्योंकि वह अपनी शादी में घोड़ी पर सवार होना चाहता है।
इसलिए इस गांव में एक विशाल पुलिस बल तैनात किया गया और सुरक्षा के बीच वह ऐतिहासिक पल भी आया, जब दलित दूल्हे ने घोड़ी पर बैठकर रस्म अदा की।
प्रशासन के अधिकारियों ने ग्रामीणों से बात की और उन्हें शादी समारोह के दौरान शांति बनाए रखने की अपील की।
मंगलवार को शादी शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गई। हालांकि एक बात जो गांव और पूरे कस्बे में फैली, वह यह रही कि घुड़चढ़ी के दौरान दूल्हे के रिश्तेदार और मेहमान नाचते हुए दिखाई दे रहे थे, वहीं पुलिस की टीम उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उनके पीछे-पीछे चलती दिखाई दे रही थी।
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