भाजपा की सहयोगी RLP कृषि कानून को लेकर NDA से हुई अलग

Last Updated 27 Dec 2020 01:21:32 AM IST

नए कृषि कानून का विरोध अब एनडीए के अंदर ही तेज हो गया है। अकाली दल के बाद अब शनिवार को एनडीए के सहयोगी दल आरएलपी भी एनडीए से अलग हो गई।


अलवर के शाहजहांपुर-खेड़ा बॉर्डर पर आरएलपी के संयोजक और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल

अलवर के शाहजहांपुर-खेड़ा बॉर्डर पर आरएलपी के संयोजक और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने एनडीए से अलग होने का ऐलान किया।

किसानों को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा, "भाजपा के साथ आरएलपी का गठबंधन शनिवार को समाप्त हो गया है।"

इससे पहले 19 दिसंबर को बेनीवाल ने किसानों के आंदोलन के समर्थन में संसद की तीन समितियों से इस्तीफा दे दिया था।

आरएलपी का एनडीए से अलग होने का निर्णय इस गठबंधन के लिए बीते तीन महीने में दूसरा झटका है। 26 सितंबर को, शिरोमणी अकाली दल ने तीन कृषि कानून पर मतभेद के बाद एनडीए का साथ छोड़ दिया था।



बेनीवाल ने साथ ही कहा कि अगर केंद्र कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी, तो वह लोकसभा से भी इस्तीफा दे देंगे।

उन्होंने कहा, "मैं एनडीए के साथ फेवीकोल से नहीं जुड़ा हूं। मैंने एनडीए से खुद को अलग कर लिया है..मैंने तीन कृषि कानूनों के विरोध में गठबंधन छोड़ दिया है, जोकि किसान विरोधी है। मैंने एनडीए का साथ भले ही छोड़ दिया है, लेकिन मैं कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करूंगा।"

इससे पहले शनिवार सुबह 'दिल्ली चलो' मार्च के लिए जयपुर के समीप कोटपुतली के पास हजारों की संख्या में किसान इकट्ठे हुए थे।

बेनीवाल ने सुबह आईएएनएस से कहा था, "करीब 2 लाख किसान मेरे साथ दिल्ली की ओर मार्च कर रहे हैं। हम एनडीए के साथ हमारे गठबंधन के बारे में ऑन द स्पॉट निर्णय लेंगे। अगर कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो, हम एनडीए से हमारे गठबंधन को तोड़ने का फैसला करेंगे।"

इससे पहले बेनीवाल ने गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर कहा था कि अगर कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो वह भाजपा के साथ गठबंधन जारी रखने को लेकर विचार करेंगे।

सहारा न्यूज ब्यूरो
जयपुर


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