राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने बेंगलुरु में आयोजित अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के अंतिम दिन भाजपा और आरएसएस के रिश्तों को लेकर अहम बयान दिया है। उन्होंने कहा कि चुनावों के दौरान अक्सर इस रिश्ते को लेकर विभिन्न आकलन किए जाते हैं, लेकिन असल आकलन तो देश की जनता ने किया है।

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि आरएसएस भी देश का एक अभिन्न हिस्सा है और अगर वह किसी भूमिका में हैं, तो वे हर सरकार के लिए अभिभावक के रूप में हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई सरकार का हिस्सा नहीं बनता, तो यह अलग बात है, लेकिन फिलहाल आरएसएस और सरकार के बीच कोई संकट नहीं है और सब कुछ सामान्य रूप से चल रहा है।
होसबले ने औरंगजेब के विषय पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने दिल्ली के औरंगजेब मार्ग को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा कि इसे अब्दुल कलाम मार्ग में बदला गया है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि भारत में औरंगजेब के भाई दारा शिकोह को कभी भी एक आइकॉन के रूप में क्यों नहीं माना गया, जबकि औरंगजेब को इस श्रेणी में रखा गया है। होसबले के अनुसार, यह उलटा होना चाहिए था।
इसके अलावा, वक्फ से संबंधित मुद्दे पर भी होसबले ने अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि यह केवल आरएसएस का ही मुद्दा नहीं है, बल्कि समाज के कई लोग भी वक्फ की जमीनों के मामले में आवाज उठा रहे हैं। इसके समाधान के लिए सरकार ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया है और उसके फैसले का इंतजार किया जाएगा।
उन्होंने आगे कहा कि संघ समाज से बाहर नहीं है, बल्कि वह समाज का एक अभिन्न हिस्सा है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राम मंदिर का निर्माण आरएसएस की व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह पूरी तरह से समाज के प्रयासों का परिणाम है।
होसबले ने कहा, "संघ कोई पैरामीटर सेट नहीं करता, और न ही किसी विशेष कार्य को खुद के नाम से जोड़ता है। संघ समाज का हिस्सा है और समाज ही वह शक्ति है, जो परिवर्तन और उपलब्धियां लाती है।" उन्होंने भारत की अस्मिता और संस्कृति के पुनर्निर्माण का श्रेय भी समाज को दिया और कहा, "भारत की अस्मिता और संस्कृति को पुनः स्थापित करने का काम समाज ने किया है। यह सब भारत के लोगों की मेहनत और प्रयासों का नतीजा है।"
होसबले ने यह स्पष्ट किया कि ऐसे कार्यों को श्रेय समाज के समग्र योगदान को दिया जाना चाहिए, और यह समाज की सामूहिक उपलब्धि है।
उल्लेखनीय है कि इस सभा में देशभर के 1443 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें नॉर्थ ईस्ट से लेकर कन्याकुमारी और जम्मू कश्मीर तक के कार्यकर्ता शामिल थे। सभा में संघ के पिछले एक साल के कार्यकाल की समीक्षा की गई और आगामी समय में संघ के विस्तार और कार्यकुशलता पर जोर देने की बात की गई। होसबले ने कहा, "विजयादशमी के दिन 100 साल पूरे हो जाएंगे। यह आत्मचिंतन का समय है और समाज तक हमारे काम को पहुंचाने की जरूरत है। साथ ही राष्ट्र निर्माण के लिए आगे का रोड मैप तैयार किया गया है।"
संघ ने 100 साल की इस यात्रा के दौरान समाज के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाने का संकल्प लिया। इस संकल्प के तहत विजयादशमी के दिन, 2 अक्टूबर को पूरे देश में 1 लाख स्थानों पर ये पर्व मनाया जाएगा, साथ ही शताब्दी वर्ष समारोह की शुरुआत होगी।
संघ के सरसंघ चालक दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और कोलकाता में बुद्धिजीवियों के साथ बैठक करेंगे ताकि एक देश, एक संस्कृति के विचार को मजबूती से स्थापित किया जा सके और देश की एकता और संप्रभुता के लिए कार्य किया जा सके। इसके अलावा, 15 से 30 साल के युवाओं के लिए विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।
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