पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को मांग की कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर में उपराज्यपाल द्वारा सरकारी कर्मचारियों की बर्खास्तगी के मामलों की "निष्पक्ष और गहन" समीक्षा सुनिश्चित करें।
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संविधान के अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 311(2)(सी) के तहत लगभग 70 सरकारी कर्मचारियों को कथित तौर पर आतंकवाद से संबंध रखने और संबंधित अपराधों के लिए बर्खास्त कर दिया गया है।
यह प्रावधान राष्ट्रपति या राज्यपाल को किसी कर्मचारी को सामान्य प्रक्रिया का सहारा लिए बिना बर्खास्त करने का अधिकार देता है।
पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि "बिना उचित प्रक्रिया के सरकारी कर्मचारियों की अचानक बर्खास्तगी (जो 2019 से शुरू हुआ एक तरीका है) ने कई परिवारों को तबाह कर दिया है और कुछ मामलों में बेसहारा बना दिया है"।
उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा, "मैं एक समीक्षा समिति की स्थापना का प्रस्ताव करती हूं जो ऐसे मामलों का व्यवस्थित तरीके से पुनर्मूल्यांकन कर सके।"
पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि प्रस्तावित समिति प्रत्येक मामले की निष्पक्ष और गहन समीक्षा करके बर्खास्तगी के पुनर्मूल्यांकन की दिशा में काम कर सकती है, जिससे प्रभावित व्यक्तियों या उनके परिवारों को अपना पक्ष रखने का अवसर मिल सके।