महाराष्ट्र के किसानों ने मुख्यमंत्री की खैरात ठुकराई, नासिक-मुंबई के बीच 'लॉन्ग मार्च' शुरू

Last Updated 13 Mar 2023 04:53:21 PM IST

महाराष्ट्र के किसानों ने मुख्यमंत्री की खैरात को ठुकरा दिया है। सरकार ने संकटग्रस्त प्याज की खेती करने वालों के लिए 300 रुपये प्रति क्विंटल सब्सिडी देने घोषणा की, जिससे नाखुश हजारों किसानों ने अपनी विभिन्न मांगों के समर्थन में सोमवार दोपहर से नासिक से मुंबई तक पैदल मार्च शुरू किया।


अखिल भारतीय किसान सभा के नेता और सात बार के पूर्व सीपीआई (एम) विधायक जीवा पांडु गावित ने कहा कि विभिन्न किसान समूहों के साथ चर्चा के बाद, यह निष्कर्ष निकाला गया कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का प्रस्ताव स्वीकार्य नहीं है और 'लॉन्ग मार्च' निर्धारित समय के अनुसार जारी रहेगा।

वॉकेथॉन के दौरान गावित ने आईएएनएस को बताया कि हमने एक या दो रुपये में प्याज बेचे जाने पर तत्काल राहत के रूप में 600 रुपये प्रति क्विंटल और अगले सीजन से 2000 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी मांगा है। सरकार ने अभी केवल 300 रुपये/क्विंटल की पेशकश की है और एमएसपी पर एक शब्द नहीं कहा है।

माकपा प्रवक्ता पी.एस. प्रसाद ने कहा कि सरकार का 300 रुपये प्रति क्विंटल का आश्वासन संकटग्रस्त किसानों को कोई राहत नहीं है। पांच साल में तीसरी बार, हजारों किसान अपनी विभिन्न मांगों के लिए फिर से मुंबई की सड़क पर हैं।

रिपोट के अनुसार, किसान मार्च के दौरान लगभग 175 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे, जोकि राज्य के किसानों को आकर्षित करेगा जो रविवार को नासिक में एकत्रित हुए थे।

मांगों में प्याज उत्पादकों के लिए अगले सीजन से 600 रुपये प्रति क्विंटल की तत्काल सब्सिडी और 2000 रुपये प्रति क्विंटल का एमएसपी, किसानों के कर्ज को माफ करना, सभी कृषि उपज के लिए उपयुक्त पारिश्रमिक, बिजली बिल माफी, बेमौसम बारिश-ओलावृष्टि से फसल के नुकसान के लिए त्वरित मुआवजा, वन भूमि अधिकार आदि शामिल है।

गावित के नेतृत्व में, प्रतिभागियों में आशा कार्यकर्ता, और असंगठित क्षेत्रों के प्रतिनिधि शामिल हैं, जो 'प्याज को एमएसपी दें' आदि के नारों के साथ पार्टी के झंडे और तख्तियां लहराते हुए आगे बढ़ रहे हैं।

गावित और अन्य किसान नेताओं ने कहा, सब्सिडी और एमएसपी के अलावा, हम मांग करते हैं कि प्याज का विस्तृत निर्यात होना चाहिए, इसे एनएएफईडी (नेफेड) से एमएसपी पर थोक में खरीदा जाना चाहिए।

किसानों ने 7/12 दस्तावेजों में नाम सहित चार हेक्टेयर तक की वन भूमि पर अतिक्रमणकारियों को नियमित करने, बिजली के बिल माफ करें और खेती के लिए रोजाना 12 घंटे बिजली उपलब्ध कराएं, किसानों का पूरा कृषि कर्ज माफ कर 7/12 का भुगतान करें।

उन्होंने बेमौसम बारिश और साल भर किसानों को प्रभावित करने वाली अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण सभी फसल क्षति के लिए मुआवजे की एनडीआरएफ राशि की भी मांग की है। इसके अलावा गाय के दूध का न्यूनतम मूल्य 47 रुपये और भैंस के दूध का न्यूनतम मूल्य 67 रुपये करने की मांग की है।

रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले और 2018 और 2019 में, लगभग बड़ी संख्या में किसानों ने विभिन्न मांगों को लेकर मुंबई की ओर कूच किया था। अब यह किसानों का तीसरा 'लॉन्ग मार्च' है।

आईएएनएस
नासिक/मुंबई


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