रंगासामी चौथी बार पुडुचेरी के मुख्यमंत्री बने, पहली बार चलाएंगे गठबंधन सरकार
एआईएनआरसी के संस्थापक 71 वर्षीय एन रंगासामी ने शुक्रवार को चौथी बार पुडुचेरी के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन पहली बार वह गठबंधन की सरकार चलाएंगे क्योंकि सहयोगी भाजपा के प्रतिनिधियों के भी उनके मंत्रिमंडल में शामिल होने की उम्मीद है।
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पार्टी सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार को रंगासामी ने अकेले मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन आने वाले कुछ दिनों में एआईएनआरसी और भाजपा के विधायकों को उनके मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा।
रंगासामी को साधारण रहन-सहन, मृदुभाषी और आसान पहुंच वाला नेता माना जाता है। उन्हें मुख्यमंत्री रहते हुए भी दुपहिया वाहन के जरिये पुडुचेरी की गलियों में घूम हालात का जायजा लेने को लेकर जाना जाता है।
कांग्रेस के पूर्व नेता रंगासामी ने वर्ष 2011 में ऑल इंडिया एन आर कांग्रेस की स्थापना की। उन्होंने यह कदम केंद्र शासित प्रदेश के तत्कालीन लोकसभा सदस्य वी नारायणसामी की कथित शिकायत पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) द्वारा उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद उठाया।
रंगासामी ने अपने चुनावी करियर की शुरुआत असफलता से की। उन्हें वर्ष 1990 में उनके धुर राजनीतिक विरोधी व जनता दल नेता वी पेथपेरुमल ने थाट्टनचावडी विधानसभा सीट पर मात दी थी।
हालांकि, अगले ही साल रंगासामी ने इसी सीट से जीत दर्ज की और मंत्रिमंडल में उन्हें बतौर कृषि मंत्री शामिल किया गया।
उन्होंने वर्ष 1996 में कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की। वर्ष 2001 में कांग्रेस पुडुचेरी की सत्ता में दोबारा आई और उन्हें शासन की बागडोर दी गई, पांच साल बाद रंगासामी के नेतृत्व में पार्टी दोबारा सत्ता में आई और कमान उनके हाथों में ही रही।
हालांकि, परिस्थितियां उस समय बदली जब नारायणसामी ने रंगासामी की विभिन्न मुद्दों पर आलोचना तेज की और एआईसीसी ने अगस्त 2008 में उन्हें हटा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर वी वैद्यलिंगम को बैठा दिया।
रंगासामी ने वर्ष 2011 में कांग्रेस से अलग होकर ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस का गठन किया और जे जयललिता के नेतृत्व वाली अन्नाद्रमुक से गठबंधन कर तब हुए विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की।
एआईएनआरसी को 15 सीटों पर जीत मिली और एक निर्दलीय के समर्थन से रंगासामी ने पुडुचेरी विधानसभा में सरकार बनाने के जादुई आंकड़े को प्राप्त कर लिया और अपने नेतृत्व में सरकार बनाई।
रंगासामी वर्ष 2011 में सरकार बनाने के समय अन्नाद्रमुक से अलग हो गए जिसकी वजह से उन्हें जयललिता की आलोचना का सामना करना पड़ा। जयललिता ने उन्हें ‘गद्दार’ तक करार दे दिया था।
एआईएनआरसी वर्ष 2016 का विधानसभा चुनाव अकेले लड़ी लेकिन सफलता दोहराने में कामयाब नहीं हुई और 17 सदस्यों के साथ कांग्रेस-द्रमुक सरकार बनाने में सफल हुईं।
रंगासामी वर्ष 2016 में नेता प्रतिपक्ष बने।
रंगासामी ने वाणिज्य में स्नातक किया है और विधि की पढ़ाई भी की है।
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