भीम सिंह को पैंथर्स पार्टी के संरक्षक पद से हटाया
सियासत में जब महत्वकांक्षा चरम पर होती हैं तो कई बार अपने पराए का लिहाज भी गौण हो जाता है। इस बावत ताजा किस्सा जम्मू कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी के सुप्रीमों रहे एवं संरक्षक प्रो. भीम सिंह का है।
भीम सिंह को पैंथर्स पार्टी के संरक्षक पद से हटाया |
हालांकि जम्मू कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी को खड़ा करने में प्रो. भीम सिंह का एक लंबा संघर्ष है। लेकिन अब उन्हें ही पार्टी के मौजूदा चेयरमैन हषर्देव सिंह ने डॉ. फारूक अब्दुल्ला के घर हुई एक बैठक को लेकर पार्टी से बाहर कर दिया है। जिसे लेकर यहां राजनीतिक हल्कों में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
बताते चलें कि सन् 2002 में जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनाव में जम्मू कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी ने उधमपुर, चिनैनी, रामनगर तथा सांबा की 4 सीटें जीती थीं। जिसके बाद मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व में गठित पीडीपी-कांग्रेस गठबंधन सरकार में रामनगर से निर्वाचित हर्शदेव सिंह तथा सांबा से निर्वाचित यशपाल कुंडल मंत्री बने। वहीं उधमपुर से बलवंत सिंह मनकोटिया तथा चिनैनी से फकीर चंद विधायक बने।
पार्टी सूत्रों का भी कहना है कि इन तमाम उपलब्धियों के पीछे प्रो. भीम सिंह का अहम रोल रहा है। परंतु अब प्रो. भीम सिंह को उन्हीं की पार्टी के मौजूदा चेयरमैन हर्शदेव सिंह ने उन्हें संरक्षक पद से हटा दिया है। बल्कि हषर्देव सिंह ने प्रो. भीम सिंह की बावत यहां तक कहा है ‘कि वह काफी बुजुर्ग हो गए है और उनका अपने ब्यान अथवा गतिविधि आदि पर कोई नियंत्रण नहीं हैं।’
हषर्देव सिंह के इन शब्दों व प्रो. भीम सिंह को संरक्षक पद से हटाए जाने को लेकर राजनीतिक हल्कों में खासी कानाफूसी शुरू हो गई है। दरअसल, हषर्देव सिंह का यह भी कहना है कि प्रो. भीम सिंह घाटी आधारित दलों व गुटों के नेताओं की गत दिवस प्रधान और सांसद डॉ. फारूक अब्दुल्ला के जम्मू के बाहरी क्षेत्र भठिंडी स्थित निजी आवास पर हुई बैठक में भाग लेने गए थे। जिसके कारण उन्हें प्रो. भीम सिंह के खिलाफ उक्त कड़ा कदम उठाना पड़ा है। वहीं, प्रो. भीम सिंह का कहना है कि वह गुपकार एजेंडे को लेकर बुलाई गई बैठक में भाग लेने नहीं बल्कि डॉ. फारूक अब्दुल्ला के यहां केवल चाय पीने गया था।
अनुच्छेद 370 व 35 ए के खिलाफ सबसे पहले उन्होंने ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। फिर जिस तरीके से उन्हें पार्टी के संरक्षक पद से हटाया गया, वह भी गैरमुनासिब है। बल्कि यदि नौकर को भी हटाना हो तो उसे भी पहले नोटिस देना पड़ता है।
| Tweet |