Constitution Day 2024 : संविधान हमारे राष्ट्र की जीवनरेखा, अधिकारों की देता है गारंटी: मल्लिकार्जुन खड़गे

Last Updated 26 Nov 2024 11:08:51 AM IST

Constitution Day 2024 : संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार को नागरिकों से संविधान के मूल्यों की रक्षा करने का आग्रह किया।


उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "संविधान को अपनाने का 75वां वर्ष आज शुरू हो गया है। मैं इस ऐतिहासिक अवसर पर सभी भारतीयों को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। हमारे पूर्वजों द्वारा मेहनत से तैयार किया गया भारत का संविधान हमारे राष्ट्र की जीवनरेखा है। यह हमें सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों की गारंटी देता है। यह भारत को एक संप्रभु समाजवादी लोकतांत्रिक गणराज्य बनाता है। न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व केवल आदर्श या विचार नहीं हैं, बल्कि ये 140 करोड़ भारतीयों के लिए जीवन का मार्ग हैं।"

उन्होंने आगे लिखा, "आज हम संविधान सभा और उसके सदस्यों के योगदान को याद करते हैं। हम उनकी दूरदर्शिता और बुद्धिमत्ता के सदैव ऋणी रहेंगे। पंडित जवाहरलाल नेहरू, बाबा साहेब डॉ. बी. प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं जो पीढ़ियों के लिए आशा के पथ प्रदर्शक बनते हैं। संविधान सभा का उल्लेख उन 15 महिला सदस्यों के योगदान को याद किए बिना पूरा नहीं होगा, जिन्होंने समावेशी भारत के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण सुझाव दिए। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि संविधान सभा को आम नागरिकों से अनगिनत सुझाव मिले जो रिकॉर्ड में दर्ज हैं।"

खड़गे ने आगे कहा, "संविधान सभा में पंडित जवाहरलाल नेहरू और बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर के महत्वपूर्ण अंतिम भाषण द्वारा प्रस्तावित उद्देश्य प्रस्ताव 'संविधान के किरायेदारों' की रक्षा के लिए मैग्ना कार्टा (महान चार्टर) का निर्माण करते हैं।"

उन्होंने कहा, "संविधान सभा में पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव और बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर की ओर से दिए गए महत्वपूर्ण अंतिम भाषण ने संविधान के सिद्धांतों की रक्षा के लिए मैग्ना कार्टा का निर्माण किया। हम भारत के देशभक्त नागरिकों के सामने अब संविधान के मूल्यों की रक्षा करने का महत्वपूर्ण कार्य है। हम भारत के लोगों को संविधान में व्यक्त प्रत्येक विचार की रक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए। संविधान को अपनाने के 75वें वर्ष में भारत के अंतर्निहित दर्शन की रक्षा के संघर्ष को राष्ट्रीय आंदोलन के युग की तरह ही पुनर्जीवित और प्रज्वलित किया जाना चाहिए।"

आईएएनएस
नई दिल्ली


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