प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को कहा कि उसने बैंक धोखाधड़ी मामले में आंध्र प्रदेश के एक व्यवसायी की 21 अचल संपत्तियों और बैंक बैलेंस को कुर्क किया है।
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व्यवसायी पोलपेल्ली वेंकट प्रसाद और उनके परिवार के सदस्यों की 7.57 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई है।
ईडी ने एक बयान में कहा कि उसने धन शोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत एआरसी कंपनी मेलियोरा एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी की 50 लाख रुपये की जमा राशि सहित उसकी परिसंपत्तियों को कुर्क किया है। कुर्क की गई संपत्ति आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले के तनुकु में स्थित है।
ईडी ने पश्चिम गोदावरी जिले में इंडियन ओवरसीज बैंक, वीरभद्रपुरम शाखा के साथ धोखाधड़ी करने के लिए पीबीआर पोल्ट्री टेक के प्रबंध साझेदार और अन्य भागीदारों के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी के आधार पर धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) का मामला दर्ज किया है।
जांच के दौरान कहा गया कि यह पता चला है कि पीबीआर पोल्ट्री टेक ने पैनल अधिवक्ताओं की मिलीभगत से गिरवी रखी गई संपत्तियों के मूल्य में भारी वृद्धि करके इंडियन ओवरसीज बैंक से 5.60 करोड़ रुपये का सावधि ऋण (टर्म लोन) लिया था।
यह भी आरोप लगाया गया कि प्रसाद ने अपने सहयोगियों के नाम पर 1.74 करोड़ रुपये के सूक्ष्म और लघु उद्यमों (सीजीटीएमएसई) ऋण के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट भी प्राप्त किया।
ईडी ने आरोप लगाया कि ऋण की रकम को डायवर्ट कर दिया गया और बाद में इसका भुगतान भी नहीं किया गया, जिससे बैंक को 7.34 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा।
वित्तीय जांच एजेंसी ने कहा, "जब आरोपियों को इस फर्म से अधिक ऋण नहीं मिल सका, तो उन्होंने ऋण प्राप्त करने के लिए एक और शेल फर्म स्थापित की।"
ईडी की जांच में यह भी पता चला है कि आरोपी ने आंध्रा बैंक के साथ भी धोखाधड़ी की। आरोपी ने एक पोल्ट्री शेड के निर्माण के बहाने बैंक से ऋण प्राप्त किया।
ईडी ने कहा, "आंध्रा बैंक का ऋण भी एनपीए बन गया है।" एजेंसी ने कहा कि इस तरह प्रसाद ने धोखाधड़ी करते हुए कुल 17.27 करोड़ रुपये की आय अर्जित की।
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