CM अरविंद केजरीवाल ने शुरू किया, 'युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध'

Last Updated 05 Oct 2020 05:46:09 PM IST

कोरोना संक्रमण के दौरान वायु प्रदूषण जानलेवा साबित हो सकता है। इसी को देखते हुए दिल्ली सरकार ने कई अहम निर्णय लिए हैं।


मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल

मुख्यमंत्री ने कहा, "यह वायु प्रदूषण जानलेवा हो सकता है। खासतौर पर इस कोरोना संक्रमण के साल में। कोरोना फेफड़ों पर हमला करता है, ऐसे में प्रदूषित वायु खतरनाक साबित हो सकती है। इसलिए हमने दिल्ली में प्रदूषण के विरोध में लड़ाई छेड़ने का अभियान शुरू किया है। इस अभियान का नाम 'युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध' है।"

इसके तहत दिल्ली के सभी कंस्ट्रक्शन स्थलों पर धूल उड़ने से रोकने के उपाय किए जाएंगे। सड़क किनारे उड़ने वाली धूल को नियंत्रित किया जाएगा। दिल्ली के अंदर कूड़ा या आग से फैलने वाले वायु प्रदूषण को रोका जाएगा। इसके साथ ही प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक और रूम भी बनाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, "हर साल अक्टूबर, नवंबर, दिसंबर में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। इसका एक बड़ा कारण आसपास के राज्यों में पराली जलाना है। पराली जलाने का खामियाजा वहां रहने वाले किसानों और अन्य गांववालों को भी भुगतना पड़ता है।"

दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर नियंत्रित रखने के लिए सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तीनों नगर निगमों, पीडब्ल्यूडी और एनडीएमसी समेत अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की।

प्रदूषण रोकने के लिए दिल्ली सरकार ने दिल्ली में 800 हेक्टेयर कृषि भूमि की पराली अपने खर्चे पर गलाने का निर्णय लिया है। निर्माण स्थलों एवं सड़क किनारे उड़ने वाली धूल को नियंत्रित करने का फैसला लिया गया है। दिल्ली में 13 ऐसे हॉटस्पॉट हैं, जहां सबसे अधिक वायु प्रदूषण है। ऐसे प्रत्येक हॉटस्पॉट का गहन अध्ययन करके समाधान किया जाएगा।

दिल्ली सरकार प्रदूषण रोकने के लिए एक ऐप भी बना रही है। इस ऐप पर प्रदूषण फैलाने वालों की शिकायत की जा सकेगी। वहीं किसी भी निर्माण कार्य के लिए वृक्षों को काटा नहीं जाएगा, बल्कि निर्माण स्थल में आने वाले 80 प्रतिशत वृक्षों को दूसरे स्थानों पर ट्रांसप्लांट किया जाएगा। दिल्ली सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन पॉलिसी भी लागू करने का निर्णय लिया है।

मुख्यमंत्री ने दिल्ली के पड़ोसी राज्यों से भी वायु प्रदूषण रोकने में मदद मांगी है। केजरीवाल ने कहा, "दिल्ली के 300 किलोमीटर के दायरे में कोयले से चलने वाले 11 बिजली के प्लांट हैं। इन सभी बिजली प्लांटों से बड़ी मात्रा में धुआं निकलता है। सुप्रीम कोर्ट इन्हें बंद करने के आदेश दे चुका है। इन सभी बिजली प्लांटों को वैकल्पिक ईंधन पर शिफ्ट किया जाना चाहिए। वहीं दिल्ली के आसपास के शहरों में पुरानी तकनीक के ईंट भट्ठे हैं, जिनसे दिल्ली में वायु प्रदूषण होता है।"
 

आईएएनएस
नई दिल्ली


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