School Book में शामिल हो सकते हैं रामायण और महाभारत

Last Updated 21 Nov 2023 07:41:46 PM IST

एनसीईआरटी जल्द ही स्‍कूली पुस्तकों में रामायण और महाभारत से जुड़े चैप्टर्स को शामिल कर सकती है। रामायण और महाभारत से जुड़े अध्याय एनसीईआरटी की सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्‍तकों में शामिल किए जाने की योजना है।


School Book में शामिल हो सकते हैं रामायण और महाभारत

जानकारी के मुताबिक एनसीईआरटी के एक उच्च स्तरीय पैनल ने इसकी शिफारिश की है। एनसीईआरटी के पैनल ने अपनी सिफारिश में कहा है कि 'शास्त्रीय काल' के इतिहास के हिस्से के रूप में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्य स्कूली पुस्तकों में शामिल किए जाने चाहिए। हालांकि अभी तक एनसीईआरटी ने इस विषय पर कोई आधिकारिक सहमति या जानकारी साझा नहीं की है।

जानकारी के मुताबिक उच्च-स्तरीय पैनल ने कक्षाओं की दीवारों पर संविधान की प्रस्तावना स्थानीय भाषाओं में लिखे जाने की सिफारिश भी की है। पैनल ने पाठ्यपुस्तकों में भारतीय ज्ञान प्रणाली, वेदों और आयुर्वेद को शामिल करने का सुझाव दिया।

गौरतलब है कि अभी इन सभी सुझावों पर एनसीईआरटी की स्वीकृति आना बाकी है। इसके अलावा एनसीईआरटी की स्कूली पाठ्य पुस्तकों में इंडिया की जगह भारत लिखा जा सकता है। एनसीईआरटी की उच्च स्तरीय समिति ने इंडिया के स्थान पर भारत लिखे जाने की सिफारिश भी की है। वहीं, पाठ्यपुस्तकों में इंडिया का नाम बदलकर भारत करने पर एनसीईआरटी का कहना है कि, इन खबरों पर किसी भी प्रकार कि टिप्पणी करना अभी जल्दबाजी होगी।

एनसीईआरटी का कहना है कि नए पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकें विकास की प्रक्रिया में है। इस उद्देश्य के लिए एनसीईआरटी द्वारा संबंधित विषय विशेषज्ञों के विभिन्न पाठ्यचर्या क्षेत्र समूहों को अधिसूचित किया जा रहा है। एनसीईआरटी पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए गठित प्रोफेसर 'सीआई आईजैक' की अध्यक्षता वाली समिति ने की थी।

सिफारिश के मुताबिक प्राथमिक से लेकर हाई-स्कूल स्तर तक स्कूली पाठ्यपुस्तकों में देश का नाम इंडिया नहीं, बल्कि भारत होना चाहिए। समिति ने यह भी सिफारिश की है कि भारतीय इतिहास में प्राचीन, मध्ययुगीन और आधुनिक के रूप में अवधि का वर्गीकरण चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जाना चाहिए।

एनसीईआरटी की इस समिति का तर्क है कि प्राचीन शब्द की बजाए पुस्तकों में शास्त्रीय या फिर क्लासिकल शब्द का उपयोग होना चाहिए। इसी वर्ष पद्मश्री से सम्मानित, आईजैक की अध्यक्षता वाली समिति ने विशेष रूप से सिफारिश की है कि स्कूली छात्रों को पाठ्य पुस्तकों में इंडिया के बजाय भारत नाम पढ़ाया जाए।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक समिति ने कहा कि भारत नाम का उल्लेख विष्णु पुराण में है। यही नहीं कालिदास ने भारत नाम का प्रयोग किया है। यह एक सदियों पुराना नाम है, जबकि इंडिया नाम बहुत बाद में तुर्कों, अफगानों और यूनानियों के आक्रमण के बाद आया।

समिति ने कहा कि 12वीं कक्षा तक की सभी पाठ्य पुस्तकों में केवल भारत नाम का ही उपयोग किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मौजूदा पाठ्यक्रम और पाठ्य पुस्तकों में इतिहास में हुई लड़ाइयों में हिंदू हार पर बहुत अधिक जोर देती हैं। जबकि, हिंदू जीत का उल्लेख नहीं किया गया है।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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