आपने शहर को पंगु बना दिया : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को जंतर-मंतर पर सत्याग्रह करने की अनुमति देने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध कर रहे एक किसान संगठन से कहा कि आपने पूरे शहर को पंगु बना दिया है और अब आप शहर के भीतर आना चाहते हैं और यहां फिर से विरोध शुरू करना चाहते हैं।
आपने शहर को पंगु बना दिया : सुप्रीम कोर्ट |
सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठन से पूछा कि प्रदर्शन जारी रखने का क्या मतलब है, जब वह कृषि कानूनों को चुनौती देने के लिए पहले ही अदालत में याचिका दायर कर चुके हैं। अदालत ने कहा कि नागरिकों को बिना डर के, स्वतंत्रता से घूमने का अधिकार है और कुछ संतुलित दृष्टिकोण होना चाहिए। जस्टिस अजय खानविलकर और सीटी रविकुमार की बेंच ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि क्या उन्होंने इलाके के निवासियों से अनुमति ली है कि वे उनके प्रदर्शन से खुश हैं।
सुप्रीम कोर्ट कृषकों के संगठन ‘किसान महापंचायत’ और उसके अध्यक्ष की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है। याचिका में संबंधित अधिकारियों को जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण एवं गैर-हिंसक ‘सत्याग्रह’ के आयोजन के लिए कम से कम 200 किसानों के लिए जगह उपलब्ध कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। सुनवाई की शुरुआत में याचिकाकर्ताओं के वकील ने अदालत को बताया कि याचिका संबंधित अधिकारियों को यहां जंतर मंतर पर सत्याग्रह करने की अनुमति देने का निर्देश देने के अनुरोध के लिए है।
अदालत ने कहा कि हमें एक बात बताइए, आप यहां सत्याग्रह चाहते हैं, कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन आपने अदालत का रुख किया है। एक बार जब आपने अदालत का रुख कर लिया तो आपको न्यायिक व्यवस्था में भरोसा रखना चाहिए कि वह मामले में उचित तरीके से फैसला करेगी। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता पहले ही कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख कर चुके हैं और वे जल्द सुनवाई के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं बेंच ने कहा कि सत्याग्रह करने का क्या मतलब है।
अदालत कृषि कानूनों की वैधता की जांच करेगी। अदालत ने पूछा कि आपका मुद्दा केवल उन तीन कानूनों को निरस्त करने का है। आपने हाई कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की है। एक बार जब आप अपना मन बना लेते हैं और अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं और ऐसा करने के बाद आप यह नहीं कह सकते कि आप विरोध जारी रखेंगे। इसका उद्देश्य क्या है। जब अदालत ने पूछा कि क्या आप न्यायिक व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं तो याचिकाकर्ता के वकील ने कहा-नहीं।
अदालत ने कहा कि एक बार जब आप न्यायिक व्यवस्था का रुख कर लेते हैं, तो अदालत पर भरोसा रखें। आप फिर से विरोध करने के बजाय उस मामले को तत्काल सुनवाई के लिए आगे बढ़ाएं। विरोध करने का अधिकार है लेकिन नागरिकों को भी स्वतंत्र रूप से और बिना किसी डर के आने-जाने का समान अधिकार है। अदालत ने कहा कि उनकी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
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