शिक्षा एवं स्वास्थ्य को दरकिनार किया गया : सिसोदिया

Last Updated 02 Feb 2021 05:00:45 AM IST

दिल्ली के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा पेश किए गए केंद्रीय बजट 2021-22 की आलोचना करते हुए कहा कि बजट में शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया है।


दिल्ली के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया (file photo)

यह बजट गरीबों, मध्यम वर्ग और किसानों को बरबाद करने वाला है। बजट में सभी राष्ट्रीय संपत्तियों को एक के बाद एक कर बेचने की योजना बनाई गई है। गरीबों को फायदा पहुंचाने के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़ी कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च बढ़ाने की कोई योजना नहीं है, जिससे आत्मनिर्भर भारत की सही नींव पड़ सके।

शिक्षा बजट में केंद्र सरकार ने 6 हजार करोड़ रूपए की कटौती की: मनीष सिसोदिया ने कहा कि केन्द्र सरकार को शिक्षा में अतिरिक्त बजट का आवंटन करना चाहिए था, लेकिन शिक्षा मंत्रालय के बजट में करीब 6 हजार करोड़ रुपए की कमी कर दी गई है। 2020-21 में शिक्षा बजट 99,312 करोड़ के मुकाबले 2021-22 में घटकर 93,224 करोड़ रुपए कर दिया गया है।मनीष सिसोदिया ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में शिक्षा के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6 फीसद आवंटन का वादा किया गया है। केंद्रीय बजट में सकल घरेलू उत्पाद का केवल 0.6 फीसद शिक्षा को आवंटित किया है। यह शिक्षा के प्रति सरकार की वास्तविक प्रतिबद्धता को दर्शाता है। शिक्षा बजट को 6 हजार करोड़ रुपए कम करने से पता चलता है कि भाजपा का आत्मनिर्भर भारत बनाने की बात महज एक जुमला है।

बढ़ती महंगाई के उपाय नहीं, आयकर छूट की उम्मीद धाराशाई:  बढ़ती महंगाई और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने की दिशा में केंद्र की निष्क्रियता की आलोचना करते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि  पिछले साल पेट्रोल की कीमतें 75 रुपए से बढ़कर 86 रुपए प्रति लीटर हो गई। जबकि डीजल की कीमतें 68 रुपए से बढ़कर 77 रुपए हो गई। इसके बावजूद पेट्रोल पर 2.5 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 4 रुपए प्रति लीटर सेस लगाकर केंद्र सरकार ने बता दिया है कि वह मध्यम वर्ग या अर्थव्यवस्था की परवाह नहीं करती है।

एलपीजी की कीमत नियंत्रित करने की कोई योजना नहीं: मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में एलपीजी की कीमतें नवंबर-2020 में 594 रुपए थी, जो आज बढ़कर 858 रुपए हो गई है। इसमें तीन महीनों में 30 फीसद की वृद्धि हुई है। केंद्रीय बजट में एलपीजी की कीमतों को नियंत्रित करने के संबंध में कोई योजना नहीं बताई गई थी।  

गरीबों, किसानों के लिए इस बजट में कुछ भी नहीं : केंद्रीय बजट में गरीबों, बेरोजगारों और किसानों के लिए कुछ भी नहीं होने पर चिंता जताते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि गरीबों और बेरोजगारों की प्रमुख योजनाओं में कमी की गई है। नरेगा में 38 हजार करोड़ रुपए, सामाजिक कल्याण योजनाओं में पांच हजार करोड़ रुपए और पीएम किसान योजना आवंटन में दस हजार करोड़ रुपए की कमी की गई है।

मनीष सिसोदिया ने कहा कि ऐसे समय में जब पूरे देश में किसान आंदोलन जारी है, उस समय कृषि मंत्रालय का बजट 1.55 लाख करोड़ रुपए से घटाकर 1.48 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है। कृषि मंत्रालय के बजट में 7000 करोड़ रुपए की कमी की गई है। जब बेरोजगारी सबसे अधिक है, उस समय नौकरियां और कौशल मंत्रालय का बजट 5400 करोड़ रुपए से घटाकर 3500 करोड़ कर दिया गया है। इसके बजट में 35 प्रतिशत की कमी की गई है। इससे पता चलता है कि सरकार बेरोजगारों के दर्द के प्रति पूरी तरह से उदासीन है।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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