झारखंड में डायन विसाही जागरुकता अभियान
डायन ,चुड़ैल ,भूत ,प्रेत आदि शब्द कभी सुनने को खूब मिलते थे। आज से तीन चार दशक पहले जब भी कोई व्यक्ति किसी बीमारी की वजह से परेशान होता था, तो लोग उसे किसी डाक्टर से ना दिखाकर किसी ऐसे व्यक्ति के पास लेकर जाते थे, जो यह दावा करता था कि वो बुरी आत्माओं को भगा देगा।
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भूत, प्रेत या डायन से लड़ लेगा। पीड़ित लोगों को ठीक कर देगा। ऐसे लोगों को समाज ओझा या सोखा कहता था।
वह ओझा सबको यही समझाने की कोशिश करता था कि किसी चुड़ैल या किसी भूत की वजह से फलां व्यक्ति परेशान है। आमतौर पर ऐसी घटनाएं ग्रामीण इलाकों में ज्यादा देखने को मिलती थीं। उस समय लोगों को इन सब बातों पर विश्वास भी हो जाया करता था। उस विश्वास की सबसे बड़ी वजह थी लोगों का शिक्षित ना होना। साथ ही साथ एडवांस बीमारियों की जानकारी का अभाव होना। लेकिन आज गांव हो या शहर, सब जगह के लोग शिक्षित होते जा रहे हैं। बल्कि ग्रामीण इलाकों के हजारों बच्चे ऐसे-ऐसे काम करने में सफल होते जा रहे है जिनकी चर्चा सब जगह होती है।
दुर्भाग्य की बात है कि इतना सब कुछ बदल जाने के बाद भी देश के कई राज्यों में अभी भी लोग डायन और भूत, प्रेत के चंगुल में फंसे होने की बात करते हैं। ऐसा ही एक प्रदेश है झारखंड। यहाँ के ग्रामीण इलाकों के लोग किसी भी महिला को डायन बताकर उससे मारपीट करते हैं। ऐसी महिला को ना तो किसी के घर जाने देते हैं और न ही उसे कोई अपने घर बुलाता है। यानि जो कुरीतियां वर्षों पहले ख़तम हो जानी चाहिए थी वो आज भी झारखंड के कुछ ग्रामीण इलाकों में देखने और सुनने को मिल रही हैं। ऐसी ही कुरूतियों को ख़तम करने, ऐसे ही अंधविश्वास को समाप्त करने के लिए झारखंड की पुलिस और प्रशसन ने एक अभियान चला रखा है।
"डायन विसाही जागरूकता अभियान' के नाम से चलाई जा रही इस योजना के तहत पुलिस और प्रशासन की टीम गांव के दौरे कर के लोगों को जागरूक करने का काम करती है। वहां के दुमका जिले के हँसडीहा थाना क्षेत्र के कई गाँव के लोगों को जागरूक किया गया। गांव वालों से सबने अपील की। उन लोगों को बताया गया कि डायन और भूत प्रेत जैसी कोई चीज न तो पहले थी और न ही अब है। गांव के लोगों ने भी उनकी बातों को सुनकर उस कुप्रथा के खिलाफ एकजुट होने की बात की।
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