मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज एचईसी पर संकट का ग्रहण

Last Updated 08 Nov 2022 07:15:11 PM IST

देश में मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज के रूप में मशहूर रहे रांची स्थित सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठन हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एचईसी) पर छाया संकट का ग्रहण छंटने का नाम नहीं ले रहा। कंपनी के पास इसरो, रक्षा मंत्रालय, रेलवे, कोल इंडिया और स्टील सेक्टर से 1500 करोड़ रुपए का वर्क ऑर्डर है, 3400 अफसरों-कर्मियों को साल भर से तनख्वाह नहीं, लेकिन वर्किंग कैपिटल की कमी के चलते अस्सी फीसदी काम ठप पड़ गया है।


मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज एचईसी पर संकट का ग्रहण

कंपनी के अफसरों को पूरे एक साल और कर्मियों को आठ-नौ महीने से तनख्वाह नहीं मिली है। एचईसी ने भारी उद्योग मंत्रालय से एक हजार करोड़ रुपए के वकिर्ंग कैपिटल उपलब्ध कराने के लिए कई बार गुहार लगाई है, लेकिन मंत्रालय ने पहले ही साफ कर दिया है कि केंद्र सरकार कारखाने को किसी तरह की मदद नहीं कर सकती। कंपनी प्रबंधन को खुद अपने पैरों पर खड़ा होना होगा।

करीब 22 हजार कर्मचारियों के साथ 1963 में शुरू हुई इस कंपनी में अब सिर्फ 3400 कर्मचारी-अधिकारी हैं। कर्ज और बोझ इस कदर है कि इनका तनख्वाह देने में भी कंपनी अब सक्षम नहीं है। एचईसी के अफसर 12 महीने के बकाया वेतन के भुगतान की मांग को लेकर पिछले पांच दिनों से आंदोलित हैं। वे कंपनी के गेट पर रोज धरना-प्रदर्शन कर रहे है। संस्थान के सभी कर्मियों ने वेतन की मांग को लेकर पिछले साल दिसंबर में कई रोज तक टूल डाउन स्ट्राइक किया था। बाद में एक महीने की तनख्वाह देकर स्ट्राइक खत्म कराई गई थी, लेकिन इसके बाद से हालात और बदतर होते गए। देश का यह गौरवशाली औद्योगिक संस्थान अपने 59 वर्षों के इतिहास में पिछले दो साल से सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहा है।

एचईसी का संकट और इसके प्रति सरकार की बेरुखी इसी बात से समझी जा सकती है कि संस्थान में पिछले दो साल से स्थायी सीएमडी तक की नियुक्ति नहीं हुई। भेल के सीएमडी नलिन सिंघल के पास एचईसी सीएमडी का भी प्रभार है। वह आज तक एचईसी कभी आए ही नहीं। इस बीच आंदोलित अफसरों और कर्मियों की गुहार लेकर एचईसी के डायरेक्टर्स राणा एस चक्रवर्ती और एम.के सक्सेना नई दिल्ली जाने वाले हैं। वे यहां उद्योग मंत्रालय से वेतन सहित अहम मुद्दों पर उद्योग सचिव से बात करेंगे।

जानकारों के मुताबिक कंपनी के सामने सबसे बड़ी चुनौती मशीनों के अपग्रेडेशन और कोर कैपिटल की है। पिछले पांच वर्षों से प्रोडक्शन में लगातार गिरावट दर्ज की गयी है। कारखाना में मशीनों का उपयोग मात्र 25 प्रतिशत हो पा रहा है। हेवी मशीन बिल्डिंग प्लांट और फाउंड्री फोर्ज प्लांट में कई मशीनों का इस्तेमाल बंद पड़ा है। मशीनों में इस्तेमाल किया जाने वाला स्पेशल ऑयल से लेकर मामूली कल-पुजरें तक की खरीदारी नहीं हो पा रही है। कोयला सहित रॉ मटेरियल की भी कमी है।

एचईसी को इसरो के उपग्रहों के लिए अगला साल मार्च तक लांचिंग पैड की आपूर्ति करनी है, लेकिन इसके लिए कंपनी के पास स्टील नहीं है। उपकरणों को बनाने के लिए जिस स्पेशल स्टील की जरूरत है, उसकी आपूर्ति सेल करता है। सेल का एचईसी पर पहले से पांच करोड़ बकाया है और उसने पहले का बकाया चुकाए बगैर स्टील की आपूर्ति से हाथ खड़ा कर दिया है। ऐसे में आशंका है कि स्पेशल स्टील नहीं मिला तो मार्च 23 तक इसरो को लांचिंग पैड की आपूर्ति नहीं हो पाएगी।

आईएएनएस
रांची


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