छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ में भी भूपेश का जलवा
खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव को कांग्रेस प्रत्याशी यशोदा वर्मा ने जीत कर राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी के लिए खतरे की घंटी बजा दी है।
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भाजपा के कोमल जंघेल 20173 वोटों से चुनाव हार गए जबकि जोगी कांग्रेस के प्रत्याशी नरेंद्र सोनी की जमानत जब्त हो गई।
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के विधायक देवव्रत सिंह के निधन के बाद रिक्त हुई खैरागढ़ सीट पर कड़ी सुरक्षा के बीच कुल 21 दौर की मतगणना हुई, जिसमें हर दौर में कांग्रेस का ग्राफ बढ़ता ही रहा। इस चुनाव में जीत की घोषणा से पहले ही बीजेपी मुख्यालय में सन्नाटा पसर गया था और कांग्रेस मुख्यालय में ढोल बजने शुरू हो गए थे।
बीजेपी को इस चुनाव से काफी उम्मीदें थीं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल समेत अनेक केंद्रीय भाजपा नेताओं ने खैरागढ़ में व्यापक प्रचार किया था। खुद पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और बीजेपी के सभी स्थानीय दिग्गजों की टीम ने मोर्चा संभाला था, लेकिन खैरागढ़ में जीत दर्ज नहीं हो सकी।
वैसे भी, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जब से सत्ता संभाली है,वह एक भी उपचुनाव नहीं हारे हैं। दंतेवाड़ा, बीजापुर और मरवाही में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने जबर्दस्त प्रदशर्न कर तीनों सीटों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस की जीत से स्थानीय हलकों में जरा भी हैरानगी नहीं हुई है, क्योंकि खैरागढ़ को जिला बनाने की घोषणा करके बघेल ने एक प्रकार से पहले ही मैदान मार लिया था लेकिन जीत का अंतर इतना रहेगा, इसकी बीजेपी नेताओं ने कल्पना भी नहीं थी।
पिछले चुनाव में बीजेपी ने सिर्फ आठ सौ मतों के अंतर से यह सीट गंवाई थी। इस सीट के लिए 10 उम्मीदवार चुनाव मैदान में जरूर थे लेकिन मुख्य मुकाबला सत्ताधारी दल कांग्रेस, मुख्य विपक्षी दल भाजपा और जनता कांग्रेस के बीच ही रहा है। परंपरागत रूप से सीट हमेशा कांग्रेस के पास रही। 2018 में भाजपा, जोगी कांग्रेस से इस सीट पर 800 वोटों से पीछे रह गई थी।
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