विपक्षी दलों की बैठक में AAP ने केंद्र सरकार के अध्यादेश पर कांग्रेस की चुप्पी की निंदा की, प्रेस वार्ता का किया बहिष्कार
पटना (Patna) में शुक्रवार को विपक्षी दलों की बैठक में आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal), पंजाब के सीएम भगवंत मान (Bhagwant Mann), संजय सिंह (Sanjay Singh) और राघव चड्डा (Raghav Chaddha) शामिल जरूर हुए, लेकिन उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस (PC) में हिस्सा नहीं लिया।
विपक्षी दलों की बैठक में शामिल हुए आप के नेता अरविंद केजरीवाल एवं भगवंत मान व साथ हैं शरद पवार |
पटना में शुक्रवार को आयोजित विपक्षी दलों की बैठक के बाद पत्रकार वार्ता में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि उनका टिकट था, इस कारण वे निकल गए। इसके बाद हालांकि, आप ने दिल्ली सेवा से संबंधित केंद्र सरकार के अध्यादेश पर कांग्रेस की चुप्पी की निंदा की।
काले अध्यादेश को राज्यसभा में पास होने से रोकना जरूरी
आप ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर केंद्र के उक्त अध्यादेश को काला अध्यादेश बताते हुए एक बयान जारी किया। बयान में कहा गया है कि केंद्र के काले अध्यादेश का उद्देश्य न केवल दिल्ली में निर्वाचित सरकार के लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनना है, बल्कि यह भारत के लोकतंत्र और संवैधानिक सिद्धांतों के लिए भी एक खतरा है।
#OppositionMeeting pic.twitter.com/4lajJJ5BvB
— AAP (@AamAadmiParty) June 23, 2023
आगे कहा कि यदि इसे चुनौती नहीं दी गई, तो यह खतरनाक प्रवृत्ति अन्य सभी राज्यों में भी अपनाई जा सकती है। इसका परिणाम यह होगा कि जनता द्वारा चुनी गई दूसरे राज्य सरकारों से भी सत्ता छीनी जा सकती है, इसलिए इस काले अध्यादेश को राज्यसभा में पास होने से रोकना बहुत ही जरूरी है।
बयान में आगे कहा गया है कि पटना की बैठक में समान विचारधारा वाली 15 पार्टियां शामिल हुईं। इन में से 12 का प्रतिनिधित्व राज्यसभा में है। कांग्रेस को छोड़कर अन्य सभी 11 दलों, जिनका राज्यसभा में प्रतिनिधित्व है, उन्होंने काले अध्यादेश के खिलाफ स्पष्ट रूप से अपना रुख साफ कर दिया है और इन पार्टियों ने घोषणा की है कि वे राज्यसभा में अध्यादेश का विरोध करेंगे।
कांग्रेस ने अभी तक काले अध्यादेश को लेकर अपना रुख सार्वजनिक नहीं किया है। बयान में यह भी कहा गया है कि आज पटना बैठक के दौरान कई दलों ने कांग्रेस से काले अध्यादेश की खुले तौर पर निंदा करने का आग्रह किया, लेकिन कांग्रेस ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। कांग्रेस की ये चुप्पी उसके इरादों पर संदेह पैदा करती है।
बयान में आप ने साफ कर दिया है कि जब तक कांग्रेस सार्वजनिक रूप से काले अध्यादेश का विरोध नहीं करती है और ये घोषणा नहीं करती है कि उसके सभी 31 राज्यसभा सांसद राज्यसभा में अध्यादेश का विरोध करेंगे, तब तक आम आदमी पार्टी के लिए समान विचारधारा वाले दलों की भविष्य में होने वाली बैठकों में हिस्सा लेना मुश्किल होगा, जिसमें कांग्रेस भी हिस्सा ले रही है।
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