एपीएमसी के टूटने से प्रभावित हुआ बिहार, किसान आंदोलन में साथ आएं किसान : गुरनाम सिंह
केंद्र सरकार के हाल में बनाए गए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन से जुड़े संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने सोमवार को यहां कहा कि खेती उत्पाद और मंडीकरण समिति (एपीएमसी) के टूटने से सबसे ज्यादा प्रभाव बिहार पर देखने को मिला है।
गुरनाम सिंह चढ़ूनी(फाइल फोटो) |
दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन में बिहार के किसानों का समर्थन मांगने आए संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि, "अगर एमएसपी की गारंटी का कानून बनता है तो बिहार का धान 1000 रुपये में नहीं 1888 रुपये में और मक्का 800 रुपये में नहीं, बल्कि 1850 रुपए में बिकेगा।"
उन्होंने कहा, "इसी तरह अन्य फसलों के भाव भी बढ़ेंगे। बिहार के किसानों की दशा बदल सकती है। यही कारण है कि बिहार के किसानों का इस आंदोलन में भाग लेना अति आवश्यक है।"
चढूनी ने कहा, "2006 में एपीएमसी के टूटने का सबसे ज्यादा प्रभाव बिहार पर देखने को मिला है। एमएसपी पर फसल ना बिकने के कारण बिहार का किसान बर्बादी की कगार पर पहुंच गया है। मजदूरी करने के लिए भी उन्हें बाहर दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है, जबकि बिहार की जमीन उपजाऊ है, पानी बहुत अच्छा है और खेती करने वाले लोग सभी बिहार में मौजूद हैं।"
उन्होंने किसानों का आह्वान करते हुए आगे कहा, "एमएसपी लागू नहीं होने की वजह से बिहार के किसान, मजदूर पूरी तरह तबाह हो गए हैं। बिहार के साथ ही देश में भी एमएसपी लागू हो इसके लिए पूरे देश में आंदोलन चल रहा है। इसमें बिहार के किसान व मजदूर को पूरी तरह कूद जाना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि, "हमारे देश को पूंजीपति हड़प रहे हैं, जिससे गरीब और अमीर के बीच की खाई बढ़ती जा रही है। हमारे देश में एक पूंजीपति की आय 90 करोड़ रुपये प्रति घंटा तक पहुंच गई है, वहीं गरीब नागरिक की आय 9 रुपये प्रति घंटा भी नहीं है। सोने की चिड़िया कहलाने वाला भारत आज भूखमरी वाले 107 देशों में 94 वें स्थान पर पहुंच गया है।"
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