रिम्स निदेशक ने कहा - लालू प्रसाद यादव की तबियत ठीक, खराब सेहत बताने वाले डॉक्टर के खिलाफ नोटिस जारी
चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव की तबियत ठीक है और वह रिम्स में चिकित्सा लाभ ले रहे हैं जबकि उनका इलाज करने वाले चिकित्सक डॉ. उमेश प्रसाद को मीडिया में अनधिकृत बयानबाजी के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
लालू प्रसाद यादव(फाइल फोटो) |
झारखंड के कारा महानिरीक्षक वीरेन्द्र भूषण ने राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) से प्राप्त लालू प्रसाद यादव की नवीनतम चिकित्सा रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि लालू प्रसाद यादव का स्वास्थ्य स्थिर है और उनके स्वास्थ्य को किसी भी प्रकार का कोई खतरा नहीं है।
इससे पूर्व लालू प्रसाद यादव के चिकित्सक डॉ. उमेश प्रसाद को उद्धृत कर कुछ टीवी चैनलों एवं अखबारों ने खबर दी थी कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है और गुर्दे केवल 25 प्रतिशत क्षमता से काम कर रहे हैं।
इस सिलसिले में पूछे जाने पर रिम्स के निदेशक डॉ. कामेश्वर प्रसाद ने बताया कि स्थानीय मीडिया में लालू प्रसाद यादव के स्वास्थ्य को लेकर उनकी चिकित्सक रहे डॉ. उमेश प्रसाद हवाले से खबरे आयी थीं, लेकिन जब इस बारे में डॉ. प्रसाद को कारण बताओ नोटिस देकर पूछा गया तो उन्होंने लिखित तौर पर स्पष्ट किया है कि उन्होंने मीडिया से इस सिलसिले में कोई बातचीत नहीं की है और जो भी जानकारी उनके हवाले से प्रकाशित या प्रसारित की गयी है वह गलत है।
डॉ. कामेश्वर प्रसाद ने स्पष्ट किया, ‘‘रिम्स में इलाजरत लालू प्रसाद यादव के स्वास्थ्य के बारे में विगत दिनों जो कुछ भी प्रकाशित या प्रसारित किया गया वह आधिकारिक नहीं है। लालू प्रसाद यादव का स्वास्थ्य ठीक है। यदि उनका इलाज कर रहे चिकित्सक ने कहीं कुछ कहा भी है तो वह उनका व्यक्तिगत विचार है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर लालू प्रसाद के स्वास्थ्य में यदि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी होगी तो उसकी जांच मेडिकल बोर्ड कर रिपोर्ट देगा।’’
रिम्स निदेशक ने कहा, ‘‘लालू प्रसाद यादव के स्वास्थ्य का संस्थान में पूरा ख्याल रखा जा रहा है और इसमें कहीं कोई कोताही नहीं है और न ही कोई चिंता की बात है।’’
लालू प्रसाद यादव की जिस कथित स्वास्थ्य रिपोर्ट में उनके गुर्दे खतरे के स्तर तक खराब होने की बात की गयी थी, उसके बारे में रिम्स के प्रवक्ता तथा अतिरिक्त निदेशक डॉ. वाघमारे प्रसाद कृष्णा ने बताया कि यह सामान्य रिपोर्ट है इसमें किसी विशेषज्ञ की राय नहीं ली गयी है।
रिम्स के नेफ्रोलॉजी विभाग से पुष्टि करने पर भी ज्ञात हुआ कि लालू के गुर्दे की स्थिति के बारे में वहां से कोई राय ही नहीं ली गयी थी। विभाग ने बताया कि यदि उन्हें कोई गंभीर संकट होता तो निश्चित तौर पर नेफ्रोलॉजी विभाग को इसकी सूचना दी गयी होती।
इस बीच, जेल प्रशासन ने यह भी बताया कि लालू प्रसाद यादव की 10 दिसंबर तक की चिकित्सा रिपोर्ट उसे प्राप्त हुई है जिसमें उनके स्वास्थ्य को स्थिर बताया गया है और उनके सभी महत्वपूर्ण अंग ठीक से काम कर रहे हैं।
ज्ञातव्य है कि लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका पर 11 दिसंबर को होने वाली सुनवाई से ठीक पूर्व केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 10 दिसंबर को पूरक शपथ पत्र दाखिल कर कहा था कि लालू यादव ने लगातार जेल नियमावली का उल्लंघन किया है और उनकी तबियत भी अब स्थिर है लिहाजा उन्हें रिम्स से बिरसा मुंडा जेल भेज देना चाहिए। सीबीआई के इस पूरक शपथ पत्र के बाद लालू की जमानत रुक गई थी।
लालू यादव की जमानत का मामला न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह की पीठ में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
वहीं, न्यायिक हिरासत से लालू यादव द्वारा भाजपा विधायक को किये गये फोन प्रकरण में उनके खिलाफ पटना में प्राथमिकी भी दर्ज हो गई है।
पूरक हलफनामे में आगे सीबीआई ने कहा था कि लालू ने जेल नियमावली का लगातार उल्लंघन किया है, ऐसे में उन्हें रिम्स से बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा भेज देना चाहिए।
इससे पूर्व 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले के चार विभिन्न मामलों में 14 वर्ष तक की कैद की सजा पाने के बाद जेल की सजा काट रहे और इस समय यहां राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान में इलाजरत लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका पर 27 नवंबर को उच्च न्यायालय में बहस के दौरान दुमका कोषागार से गबन के मामले में लालू द्वारा न्यायिक हिरासत में बितायी गयी अवधि को लेकर विवाद हो गया, जिसके बाद न्यायालय ने लालू के अधिवक्ता कपिल सिब्बल और सीबीआई दोनों को ही न्यायिक हिरासत की अवधि की जांच निचली अदालत के रिकॉर्ड से करने के निर्देश दिये।
सीबीआई के मुताबिक लालू प्रसाद यादव ने 34 महीने जेल में बिताए हैं जबकि सिब्बल का दावा है कि यह अविध 42 महीने 28 दिन है।
इसके साथ ही लालू प्रसाद यादव के वकील सिब्बल के अनुरोध पर मामले की सुनवाई 11 दिसंबर के लिए स्थगित कर दी थी।
उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने लालू प्रसाद की न्यायिक हिरासत में 42 माह, 28 दिनों की हिरासत साबित करने के लिए समय मांगा था जिसके बाद न्यायालय ने मामले की सुनवाई 11 दिसंबर तक स्थगित कर दी थी, लेकिन 11 दिसंबर को सुनवाई के दौरान भी लालू यादव के वकीलों ने छह सप्ताह का और समय मांगा जिसके बाद उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई अब 22 जनवरी अथवा उसके बाद होने की संभावना है।
इस बीच, लालू यादव के स्वास्थ्य संबन्धी रिपोर्ट के अनधिकृत रूप से लीक होने और उनके चिकित्सक डॉ. उमेश प्रसाद द्वारा स्वास्थ्य के बारे में कथित तौर पर बढ़ाचढ़ाकर दावे करने को लेकर भाजपा ने शनिवार को आरोप लगाया कि लालू प्रसाद यादव की चिकित्सा रिपोर्ट षड्यंत्र के तहत लीक की जा रही है।
झारखंड के भाजपा के मुख्य प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा, ‘‘लालू प्रसाद यादव का इलाज कर रहे चिकित्सक का व्यवहार और उनका आचरण उचित नहीं है और जिस प्रकार वह लालू प्रसाद यादव के स्वास्थ्य को लेकर बार-बार टिप्पणी करते रहते हैं और गलत बयानी करते हैं उसकी भी सीबीआई को जांच करनी चाहिए।’’
शाहदेव ने आरोप लगाया, ‘‘वर्तमान परिस्थितियों में जब से सीबीआई लालू प्रसाद यादव द्वारा रिम्स की सुविधाओं के दुरुपयोग, रिम्स निदेशक के बंग्ले से अनधिकृत रूप से मोबाइल फोन पर बात कर बिहार की नवगठित नीतीश सरकार को गिराने की साजिश उच्च न्यायालय के सामने लायी है और उन्हें वापस बिरसा मुंडा जेल भेजने की मांग की है तभी से लालू प्रसाद यादव का इलाज कर रहे चिकित्सक डॉ. उमेश प्रसाद उनके स्वास्थ्य को लेकर मीडिया में अनधिकृत बयान दे रहे हैं और स्वास्थ्य को अत्यधिक खराब बता रहे हैं जो उनकी विश्वसनीयता एवं पेशेवर कामकाज को संदिग्ध बनाता है।’’
भाजपा प्रवक्ता ने लालू प्रसाद यादव की चिकित्सा रिपोर्टें की दोबारा निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है।
बता दें कि सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव की सजा के बारे कहा कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा-427 के तहत निचली अदालत द्वारा अलग से उल्लेख नहीं करने की स्थिति में उनकी सभी मामलों में सजाएं एक के बाद एक चलनी चाहिए और उस लिहाज से दुमका मामले में अब तक लालू यादव ने न्यायिक हिरासत में एक दिन भी नहीं बिताया है।
एजेंसी ने कहा कि लालू को दुमका मामले में भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत सात वर्ष कैद एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत भी सात वर्ष कैद की सजा सुनायी गयी है जिसे मिलाकर उनकी इस मामले में कुल सजा 14 वर्ष की हो जाती है।
इस मामले में जमानत मिलने पर लालू लगभग तीन वर्ष बाद जेल से बाहर आ सकेंगे क्योंकि अब तक चारा घोटाले के जिन चार मामलों में लालू प्रसाद यादव को सजा सुनायी गयी है उनमें से तीन में उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है।
लालू प्रसाद यादव के खिलाफ डोरंडा कोषागार से 139 करोड़ रुपये के गबन का एक और मामला अभी रांची की विशेष सीबीआई अदालत में लंबित है जिसमें अंतिम दौर की सुनवाई जारी है।
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