सभी जिलों में छह सप्ताह के अंदर जेजेबी-सीडब
Last Updated 23 Jan 2010 10:54:40 AM IST
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नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने देश के सभी राज्यों के प्रत्येक जिले में छह सप्ताह के भीतर बाल अपराध न्याय बोर्ड (जेजेबी) बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) एवं विशेष पुलिस बल गठित करने का आज निर्देश दिया।
देश में बाल तस्करी, यौन पर्यटन एवं बाल मजदूरी पर प्रभावी रोक को लेकर गैर सरकारी संगठन ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ की याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी और न्यायमूर्ति एके पटनायक की खंडपीठ ने सख्त निर्देश देते हुए कहा कि आज से छह
सप्ताह के भीतर देश के सभी जिलों में जेजेबी, सीडब्ल्यूसी और विशेष पुलिस दस्ते गठित किये जाएं।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि बाल संरक्षण को लेकर केंद्र सरकार ने जुवेनाइल जस्टिस केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन एक्ट 2000 लाया था लेकिन लगभग एक दशक बीत जाने के बाद भी ज्यादातर राज्य सरकारों ने इसपर अमल
नहीं किया है।
गोंजाल्विस ने कहा कि जिन राज्यों में बोर्ड गठित हुए भी हैं वहां बाल संरक्षण की दिशा में कोई वास्तविक पहल नहीं हो सकी है।
देश में शायद ही ऐसा कोई राज्य हो जहां संबंधित कानून की विभिन्न धाराओं के तहत एक साथ बाल अपराध न्याय बोर्ड और बाल कल्याण समिति गठित हुई हों। इतना ही नहीं बाल तस्करी एवं यौन पर्यटन के पीड़ितों को इस दलदल से निकालने के लिए विशेष पुलिस बल का गठन भी नहीं किया गया है।
हालांकि, थोडी देर से अदालत कक्ष पहुंचे सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ने खंडपीठ को अवगत कराया कि बाल अधिकारों के संरक्षण को लेकर सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है और मध्याह्र भोजन योजना तथा चौदह वर्ष तक के आयु के बच्चों को मुफ्त शिक्षा के अधिकार जैसे फैसले इसके पुख्ता प्रमाण हैं।
सुब्रमण्यम की इस सलाह पर कि सरकार राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) को नोडल एजेंसी के तौर पर इस्तेमाल करने पर विचार कर रही है। न्यायालय ने इस पहल की प्रशंसा की।
लेकिन सरकार को यह हिदायत भी दी कि यह नोडल एजेंसी सिर्फ कागजी साबित न.न हो इसका ख्याल भी रखा जाना चाहिए।
न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि नोडल एजेंसी प्रत्येक राज्य के बोर्ड. समिति और विशेष पुलिस बल के कामकाज की निगरानी भी करेगी। खंडपीठ ने कहा कि नोडल एजेंसी इनके कामकाजों की स्थिति रिपोर्ट प्रत्येक महीने अध्ययन करेगी।
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