Hanumangarhi Temple: श्रीराम के दर्शन से पहले हनुमान गढ़ी में पूजन से पूरी होती है मनोकामना
अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं के भगवान राम का दर्शन करने से पहले हनुमान गढ़ी में हनुमान जी का दर्शन करना अनिवार्य माना जाता है।
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यह कोई मिथक या किवदंती न रहकर एक परम्परा बन गयी है जो सदियों से चली आ रही है।
माना यह जाता है कि अयोध्या से अपने बैकुंठ धाम जाते समय प्रभु राम ने अयोध्या का राज्य व उसकी सुरक्षा का दायित्व हनुमान जी को सौंपा था। तभी से हनुमान जी यहां विराजमान है । यदि हनुमान गढ़ी में देखा जाए तो उनके विग्रह के पीछे राम जी का दरबार है और वे उनके चरणों मे है। जैसे भरत जी भगवान राम की खड़ाऊं रखकर उससे आदेश मांगकर 14 वर्ष राजकाज चलाये थे उसी प्रकार हनुमान जी भी करते है।
गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है कि राम दुआरे तुम रखवारे‚ होत न आज्ञा बिनु पैसारे। प्रसिद्ध कथावाचक डॉ घनश्याम शास्त्री का कहना है कि शिव संहिता के भव्योत्तर खंड़ में लिखा है कि ‘प्रसादो रामचंद्रस्य प्रदातव्यो हनुमते प्रहिष्टो वायुतनयो वंछिता रथम प्रयच्छति' ।
भावार्थ है कि हनुमानजी भागवान श्रीराम के दर्शन व प्रसाद से प्रसन्न होते हैं और उनके भक्तों की मनोकामना स्वयं पूरी कर देते हैं। यही नहीं श्रीमद्भागवत में लिखा है कि ‘अहं च ब्रह्माश्च रुद्राश्च जगतः कारणं परम' । उन्होंने बताया कि हनुमान जी रूद्र यानि शिव के 11वें अवतार माने जाते है ।
अयोध्या में वह राम के दास के रूप में हैं‚ इसलिए उनका दर्शन अनिवार्य माना जाता है।
निर्वाणी अखाड़े के संत धर्मदास का कहना है कि वर्तमान जो मन्दिर है वह करीब 190 वर्ष पुराना है और नवाब शुजाउद्दौला के समय में उसका निर्माण बाबा अभयराम दास जी ने कराया था। ऐसा कहा जाता है कि नवाब के सन्तान नहीं था उनकी रानी को बाबा अभयराम दास के आशीर्वाद से पुत्र हुआ था । उसी ने जमीन भी दी थी और मन्दिर को विस्तृत रूप देंने में आर्थिक सहायता की थी।
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