प्रतिष्ठित परमाणु वैज्ञानिक आर चिदंबरम का 88 वर्ष की आयु में निधन, पोखरण परमाणु परीक्षणों में निभाई थी अहम भूमिका
देश में 1975 और 1998 के परमाणु परीक्षणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वैज्ञानिक राजगोपाल चिदंबरम का शुक्रवार देर रात निधन हो गया। वह 88 वर्ष के थे।
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परमाणु ऊर्जा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि परमाणु हथियार कार्यक्रम से जुड़े रहे चिदंबरम ने मुंबई के जसलोक अस्पताल में देर रात तीन बजकर 20 मिनट पर अंतिम सांस ली।
उन्होंने परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष और भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कार्य किया था।
चिदंबरम को 1975 में पद्म श्री और 1999 में पद्म विभूषण प्रदान किया गया था।
चिदंबरम का जन्म 11 नवंबर, 1936 को चेन्नई में हुआ था। उन्हें भारत के परमाणु हथियार कार्यक्रम में अहम भूमिका के लिए जाना जाता है। उन्होंने पोखरण-I (1975) और पोखरण-II (1998) के परमाणु परिक्षणों में अहम भूमिका निभाई थी। चिदंबरम को साल 1975 और साल 1999 में पद्म श्री और पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
पोखरण परमाणु परीक्षणों के मुख्य वास्तुकार ने 1974 में बॉम्बे से पोखरण तक प्लूटोनियम ले जाने वाले सैन्य ट्रक में यात्रा की। इंडिया राइजिंग मेमोयर ऑफ ए साइंटिस्ट में उन्होंने इसका खुलासा किया कि यह कार्यक्रम 1974 और 1998 के बीच गुप्त रखा गया था।
चिदंबरम ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) के निदेशक, परमाणु ऊर्जा आयोग (एईसी) के अध्यक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के सचिव के तौर पर काम किया है। इसके अलावा वह अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष भी रहे थे।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने वैज्ञानिक आर चिदंबरम के निधन पर दु:ख जताया। उन्होंने एक्स अकाउंट पर एक भावुक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, "भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग का नेतृत्व करने वाले और हथियारों के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले प्रख्यात परमाणु वैज्ञानिक राजगोपाला चिदंबरम के निधन की खबर सुनकर दुख हुआ। देश द्वारा किए गए दो परमाणु परीक्षणों में चिदंबरम की भूमिका यादगार थी। मैं उनके परिवार के सदस्यों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं और उनके प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।"
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