मैं जानता हूं कि व्यवस्था निचली जातियों के विरुद्ध है: राहुल गांधी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने बुधवार को कहा कि व्यवस्था तंत्र निचली जातियों के खिलाफ है और वह इसे अंदर से जानते हैं क्योंकि उनकी दादी एवं पिता प्रधानमंत्री थे।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी |
उन्होंने कहा कि उन्हें यह इसलिए भी पता है क्योंकि बाद में जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे तो वह उनके आवास जाया करते थे।
गांधी ने कहा कि दलितों, ओबीसी, आदिवासी और अल्पसंख्यकों समेत देश की 90 प्रतिशत आबादी का देश के विमर्श एवं सत्ता संरचना में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी का लक्ष्य देश की प्रगति में इस 90 प्रतिशत जनसंख्या की सहभागिता सुनिश्चित करना है।
पंचकूला में आज शाम एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गांधी ने यह कहते हुए भाजपा पर निशाना साधा कि भाजपा का ‘‘अंत’’ आ रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं जब 19 जून, 1970 को पैदा हुआ, तब से ही मैं व्यवस्था के अंदर रहा हूं। मैं अंदर से व्यवस्था को समझता हूं। आप मुझसे व्यवस्था को छिपा नहीं सकते हैं।’’
गांधी ने दावा किया कि चूंकि वह ‘‘व्यवस्था के अंदर से आए हैं’’, इसलिए उन्हें पता है कि यह कैसे चलती है, किसका पक्ष लेती है, किस तरह पक्ष लेती है, किसको यह सुरक्षा प्रदान करती है और यह किस पर हमला करती है।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री आवस में, जब मेरी दादी और दिवंगत पिता प्रधानमंत्री थे और बाद में जब डॉ. मनमोहन सिंह (प्रधानमंत्री) थे, तब भी मैं वहां जाया करता था, इसलिए मैं अंदर से व्यवस्था को जानता हूं। मैं कह रहा हूं कि यह व्यवस्था निचली जातियों के विरुद्ध है, हर स्तर पर भंयकर तरीके से है।’’
गांधी ने कहा कि चाहे कॉरपोरेट जगत हो या मीडिया या नौकरशाही या शिक्षा जगत या न्यायपालिका या सेना या कहीं और- इन 90 प्रतिशत लोगों की भागीदारी नहीं है तथा इस सिलसिले में प्रतिभा की बहस खड़ी कर दी जाती है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह कैसे हो सकता है कि 90 प्रतिशत के पास प्रतिभा नहीं है? ऐसा नहीं हो सकता है। इसलिए व्यवस्था में अवश्य ही कुछ कमी तो है। मैंने यह ढूंढ़ा है। मैंने सभी आंकड़े बाहर निकाले हैं।’’
गांधी ने दावा किया, ‘‘मीडिया में वरिष्ठ एंकर, वरिष्ठ इनफ्लूएंसर, मीडिया मालिक, वरिष्ठ प्रबंधक---एक भी दलित, आदिवासी या ओबीसी नहीं है। मुझे एक भी नहीं मिला।’’
हाथ में संविधान की प्रति लिए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यह महज एक किताब नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप इसे गौर से देखते हैं तो यह सत्ता का हस्तांतरण दस्तावेज है। यह सत्ता हस्तांतरण प्रक्रिया है, महज एक किताब नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सत्ता का हस्तांतरण 1947 में प्रारंभ हुआ था। यदि आप भारत की जनसंख्या को देखें, सर्वेक्षण कराएं तो आप जानेंगे कि करीब 90 प्रतिशत जनसंख्या दलित, आदिवासी, ओबीसी, अल्पसंख्यक है। यह एक तथ्य है जिसे चुनौती नहीं दी जा सकती।’’
गांधी ने कहा कि संविधान में स्पष्ट लिखा है कि सभी व्यक्तियों के साथ समान बर्ताव होना चाहिए, यह संविधान समानता का भी दस्तावेज है।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन, मेरा प्रश्न है कि 90 प्रतिशत (जनसंख्या) की भागीदारी क्या है? यदि आप भारत के विमर्श और सत्ता संरचना को देखते हैं, चाहे कॉरपोरेट ढांचा हो या मीडिया के दोस्त हों, चाहे यह नौकरशाही का ढांचा हो, तो वहां इस 90 प्रतिशत जनसंख्या की आवाज नहीं है।’’
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