चुनाव में धार्मिक आधार पर वोट मांगने को लेकर PM Modi को 6 साल चुनाव लड़ने पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका

Last Updated 16 Apr 2024 08:25:05 AM IST

चुनाव में कथित रूप से धार्मिक आधार पर वोट मांगने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनाव लड़ने से छह साल के लिए प्रतिबंधित करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से इसके लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की है।


प्रधानमंत्री मोदी

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि मोदी ने पीलीभीत में चुनाव प्रचार के दौरान हिंदू व सिख देवी-देवताओं एवं पूजा स्थलों के नाम पर वोट मांगें हैं।

प्रधानमंत्री मोदी को चुनाव से रोकने की मांग करते हुए एक वकील आनंद एस. जोंधले ने याचिका दाखिल की है।

उन्होंने अपनी याचिका में पीएम मोदी के 9 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में दिए भाषण का हवाला देते हुए कहा है कि मोदी ने मतदाताओं से हिंदू देवी-देवताओं और हिंदू पूजा स्थलों के साथ-साथ सिख देवताओं और सिख पूजा स्थलों के नाम पर भाजपा को वोट देने की अपील की है।

मोदी ने अपने चुनावी भाषण में कहा कि उन्होंने राम मंदिर का निर्माण करवाया है। साथ ही करतारपुर साहिब कारिडोर विकसित किया और गुरुद्वारों में परोसे जाने वाले लंगरों में इस्तेमाल होने वाली सामग्री से जीएसटी हटा दिया। याचिका में आरोप लगाया गया कि वह अफगानिस्तान से गुरु ग्रंथ साहिब की प्रतियां वापस लाए थे।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि प्रधानमंत्री ने न केवल हिंदू व सिख देवताओं और उनके पूजा स्थलों के नाम पर वोट मांगे, बल्कि विपक्षी राजनीतिक दलों को मुसलमानों का पक्षधर बताते हुए उनके खिलाफ टिप्पणियां भी की है, इसलिए निष्पक्ष चुनाव के लिए चुनाव आयोग की ओर से प्रधानमंत्री के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करना समीचीन है, क्योंकि लोकसभा चुनाव के लिए मतदान की तारीख तेजी से नजदीक आ रही है।

उन्होंने यह भी कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी सरकारी विमानों एवं हेलीकाप्टरों का उपयोग कर पूरे देश में एक ही तरह का विवादित भाषण देते आ रहे हैं।

याचिकाकर्ता का मानना है कि पीएम के भाषणों में जाति और धर्म के आधार पर मतदाताओं के बीच नफरत पैदा करने की क्षमता है। इसलिए आदर्श आचार संहिता के अनुसार प्रधान मंत्री के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हैं।

याचिकाकर्ता ने मांग की है कि मोदी के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 ए के तहत प्राथमिकी दर्ज किया जाए और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत उन्हें छह साल चुनाव लड़ने पर  तत्काल प्रभाव से अयोग्य घोषित कर दिया जाए। उसने इसको लेकर चुनाव आयोग से भी शिकायत की थी, लेकिन आयोग ने इसको लेकर कोई कार्रवाई नहीं की है।

समय लाइव डेस्क
नई दिल्ली


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