SC ने नौकरशाहों के लिए राजनीति में जाने से पहले कूलिंग-ऑफ अवधि की मांग वाली याचिका खारिज की

Last Updated 06 Apr 2024 07:25:45 AM IST

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को राजनीति में प्रवेश करने और चुनाव लड़ने के इच्छुक नौकरशाहों और लोक सेवकों के लिए 'कूलिंग-ऑफ अवधि' (Cooling-Off Period) की मांग करने वाली एक जनहित याचिका खारिज कर दी।


सुप्रीम कोर्ट

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने संकेत दिया कि वह जनहित याचिका पर विचार करने की इच्छुक नहीं है।

न्यायमूर्ति कांत ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा, "आप याचिका वापस लेना चाहते हैं या बहस करना चाहते हैं?"

याचिका पर विचार करने के लिए पीठ की अनिच्छा को महसूस करते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने जनहित याचिका वापस लेने का फैसला किया। याचिका में यह भी कहा गया था कि जिन सरकारी कर्मचारियों ने विधायकों के रूप में कार्य किया है, वे संसद या विधानसभा से पेंशन के हकदार नहीं हो सकते हैं और उन्हें केवल एक पेंशन का लाभ उठाने की अनुमति दी जानी चाहिए।

अधिवक्ता श्रवण कुमार करणम के माध्यम से दायर याचिका में सिविल सेवकों को सेवानिवृत्ति या सेवा से इस्तीफे के तुरंत बाद किसी राजनीतिक दल के टिकट पर संसद या राज्य विधानसभाओं में चुनाव लड़ने से रोकने के लिए कूलिंग-ऑफ अवधि लगाने पर चुनाव आयोग की 2012 की सिफारिशों और 2004 की सिविल सेवा सुधार समिति की रिपोर्ट को लागू करने की मांग की गई थी।

याचिका में कहा गया है, "लेकिन दो दशक पहले की गई इन सिफारिशों के बावजूद, इन्हें लागू नहीं किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप कई नौकरशाहों और न्यायाधीशों ने सार्वजनिक सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली है और बिना किसी ब्रेक-ऑफ अवधि के किसी राजनीतिक दल में शामिल होकर तुरंत चुनाव लड़ने का विकल्प चुना है।"

इसमें कहा गया है कि सौंपी गई नौकरी के बाहर किसी भी प्रकार का हित प्रशासन में निर्णय लेने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है और "कूलिंग-ऑफ पीरियड" का अस्तित्व नौकरशाह के सार्वजनिक कर्तव्य और व्यक्तिगत हित के बीच संतुलन बनाता है।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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