2024 में संसद विहीन होगी BSP ?
पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से बसपा के दस उम्मीदवार जीतकर आए थे। उन दस सांसदों की जीत में बहुत बड़ी भूमिका सपा और रालोद की भी थी, क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा ने इन दोनों पार्टियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था।
2024 में संसद विहीन होगी BSP ? |
इस बार सपा INDIA ब्लॉक का हिस्सा है जबकि रालोद प्रमुख जयंत चौधरी NDA का हिस्सा बन चुके हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इस बार बसपा प्रमुख मायावती ने जीते हुए उन दस सांसदों में से एक को छोड़कर किसी को भी टिकट नहीं दिया है। कुछ सांसदों ने बसपा छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया है तो कुछ ने कांग्रेस का हाथ पकड़ लिया है, जबकि कुछ को मायावती ने पार्टी से निकाल दिया है ,ऐसे में सवाल उठ रहा है कि कभी उत्तर की सबसे बड़ी पार्टी ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय पार्टी रही बसपा का इस लोकसभा चुनाव में क्या होगा। क्या उनका एक भी सांसद संसद भवन में नहीं दिखेगा? आज हम यही बताने या समझाने की कोशिश करेंगे कि आखिकार इस बार बसपा का कोई उम्मीदवार क्यों नहीं जीतेगा ? आगे बढ़ने से पहले बसपा के उन दस सांसदों के बारे में बात कर लेते हैं जो 2019 के लोकसभा चुनाव में जीतकर आए थे।
2019 में बिजनौर से मलूक नागर बसपा के सांसद बने थे। मलूक नागर अभी बसपा में हैं, लेकिन इस बार प्रत्याशी नहीं हैं। बिजनौर से विजेंद्र चौधरी को प्रत्याशी बनाया गया है। पार्टी पदाधिकारियों का कहना है कि नागर खुद चुनाव नहीं लड़ना चाहते। वह इससे पहले केंद्र सरकार के बजट की तारीफ कर चुके हैं। ऐसे में देखना यह होगा कि उनका कितना सहयोग चौधरी को मिलता है। यहां से सपा ने दीपक सैनी और आरएलडी ने चंदन सिंह को प्रत्याशी बनाया है। सहारनपुर से हाजी फजलुर्रहमान पिछली बार बसपा से जीते थे। उनको पार्टी निलंबित कर चुकी है, लेकिन निष्कासन नहीं किया है। उनकी जगह माजिद अली को बसपा ने प्रत्याशी बनाया है। यहां से भाजपा ने पूर्व सांसद राघव लखन पाल को टिकट दिया है। इमरान मसूद कांग्रेस से प्रत्याशी हैं। मसूद ने विधानसभा चुनाव के बाद बसपा जॉइन की थी, लेकिन टिकट न मिलने की आशंका के कारण वापस कांग्रेस में चले गए।
नगीना से पिछली बार गिरीश चंद्र जाटव बसपा से सांसद बने थे। जाटव ही इकलौते ऐसे सांसद हैं, जिनका टिकट बसपा ने रिपीट किया है। हालांकि, उनका क्षेत्र बदलकर बुलंदशहर कर दिया गया है। नगीना से बसपा ने सुरेंद्र पाल सिंह को उतारा है। भाजपा से विधायक ओम कुमार और सपा से मनोज कुमार प्रत्याशी हैं। यह सुरक्षित सीट है। ऐसे में बसपा के नए प्रत्याशी कैसे दूसरी जातियों का वोट हासिल कर समीकरणों को अपने पक्ष में कर पाते हैं। यह देखने वाली बात होगी। दानिश अली अमरोहा से पिछली बार बसपा के टिकट पर जीते थे। बसपा से निकाले जाने के बाद अब वह इसी सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। यहां बसपा ने मुजाहिद हुसैन को टिकट दिया है। वहीं भाजपा से कंवर सिंह तंवर प्रत्याशी हैं।
अम्बेडकरनगर से रितेश पांडेय बसपा के सांसद थे। वह भाजपा में चले गए और इस बार बीजेपी के ही प्रत्याशी हैं। बसपा ने कलाम शाह पर दांव लगाया है। ऐसे में अपने ही पुराने सांसद के सामने नए प्रत्याशी का प्रदर्शन एक चुनौती होगी। वहीं बसपा के ही दिग्गज नेता रहे लालजी वर्मा इस बार सपा से प्रत्याशी हैं। उनका भी यहां मजबूत पकड़ है। संगीता आजाद लालगंज से पिछली बार बसपा से जीती थीं। वह अब भाजपा में हैं। हालांकि भाजपा ने अपनी पुरानी प्रत्याशी नीलम सोनकर को टिकट दिया है। वह पिछली बार दूसरे नंबर पर रही थीं। इस तरह पिछली बार की विजेता और उपविजेता दोनों अब भाजपा में हैं। इस बार बसपा ने प्रफेसर इंदु चौधरी को प्रत्याशी बनाया है। सपा से दरोगा सरोज प्रत्याशी हैं।
श्रावस्ती से राम शिरोमणि वर्मा यहां से बसपा के सांसद थे। उनको पार्टी से निष्कासित किया जा चुका है। वह सपा और भाजपा दोनों में टिकट के लिए प्रयासरत थे। भाजपा ने यहां से साकेत मिश्रा को प्रत्याशी बनाया है। सपा ने अभी किसी के नाम का ऐलान नहीं किया। ऐसे में बसपा को भी मजबूत प्रत्याशी की तलाश है। गाजीपुर से अफजाल अंसारी बसपा से पिछली बार जीते थे। वह इस बार सपा से प्रत्याशी हैं। ऐसे में उनके मुकाबले बसपा को मजबूत प्रत्याशी की तलाश है। यहां से भाजपा ने भी अभी तक किसी को उम्मीदवार नहीं बनाया है
गाजीपुर से श्याम सिंह यादव बसपा से पिछली बार जीते थे। वह लगातार कांग्रेस नेता राहुल गांधी की यात्राओं में शामिल होते रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि बसपा उनको टिकट नहीं देगी। वह कांग्रेस से टिकट के प्रयास में हैं। भाजपा ने पुराने कांग्रेसी कृपा शंकर सिंह को प्रत्याशी बनाया है। यहां मजबूत प्रत्याशी तलाशना बसपा के लिए इसलिए और चुनौती है क्योंकि यहां से एक और पुराने बसपा नेता अशोक सिंह ने अपनी पार्टी बनाई है और चुनाव लड़ रहे हैं।
घोसी से अतुल राय बसपा से सांसद हैं। कई मुकदमों को लेकर वह चर्चा में रहे हैं। इस बार तय नहीं है कि उनको टिकट मिलेगा या नहीं। N.D.A. में यह सीट सुभासपा के खाते में गई है और अरविंद राजभर यहां से प्रत्याशी हैं। सपा ने अपने राष्ट्रीय सचिव राजीव राय को प्रत्याशी बनाया है। इन सभी आंकड़ों को देखकर एक बात तो दावे के साथ कही जा सकती है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में सिर्फ एक विधायक वाली पार्टी 2024 में संसद विहीन भी हो सकती है।
| Tweet |