PM Modi ने बता दिया, कैसे लीडर बनेगा भारत !
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा ही कुछ न कुछ ऐसी बातें करते हैं, जो प्रेरणादायक तो होती ही हैं, साथ ही साथ एक बहुत बड़ा सन्देश भी देती हैं। अगर गहराई से उनकी बातों को सुनकर उस पर अमल करना शुरू कर दिया जाए तो एक बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
PM Modi in ISRO |
हालांकि उनके बहुत से ऐसे कथन हैं, जिन पर बहुत कुछ लिखा जा सकता है। बहुत कुछ बोला जा सकता है, लेकिन हालिया मामला भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो परिसर का है, जहां पीएम मोदी, चंद्रयान-3 की सफलता के बाद वहां के वैज्ञानिकों से मिलने और उन्हें शुभकामनाएं देने खुद पहुंचे थे। वहां उन्होंने सबको बधाई देने के बाद जो बातें कहीं उसके बहुत बड़े मायने हैं। उन्होंने कहा कि यह विज्ञान और तकनीक का युग है ,जो देश इन पर पकड़ बना लेगा वही इस युग का नेतृत्व करेगा। साथ ही साथ उन्होंने कहा कि इस समय वैज्ञानिक सोच की जरूरत है। पीएम की इन बातों को सुना तो सबने होगा, लेकिन उनमें से कितने लोगों ने इस पर अमल करना शुरू कर दिया होगा, फिलहाल कहना मुश्किल है। एक समय था, जब लोग कुछ ऐसी चीजों पर विश्वास किया करते थे, जिनका हकीकत से कोई लेना देना नहीं था। सीधे-सीधे यूँ कहें कि अंधविश्वासों का बोलबाला हुआ करता था। ऐसा नहीं है कि आज लोग अंधविश्वासों पर यकीन नहीं कर रहे हैं।
आज भी देश में करोड़ों लोग, कुछ ऐसी बातों पर विश्वास करते हैं जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। इक्कीसवीं सदी का एक चौथाई हिस्सा गुजरने वाला है, बावजूद इसके, आज भी विज्ञान के प्रति उतना रुझान देखने को नहीं मिलता है, जितना दिखना चाहिए। भारत कभी विश्व गुरु हुआ करता था। हमारे देश के ऋषि मुनियों की तपस्या और उनकी आस्था का परिणाम रहा कि कभी विश्व के कोने-कोने से लोग यहाँ आकर कुछ न कुछ ज्ञान अर्जित किया करते थे। संभव है कि उस समय के ऋषि मुनियों ने जो कुछ भी कहा, जो कुछ भी दिया उसके पीछे कोई वैज्ञानिक आधार रहा हो, जिसे शायद अभी भी जानना जरूरी है। कहने के लिए उन ऋषि मुनियों ने आध्यात्मिक तरीके से अपने आपको मजबूत बनाया। अपने आपको सिद्ध पुरुष कहलवाया। उन्होंने निश्चित ही आध्यात्मिक प्रयोगशाला में कुछ ऐसे प्रयोग किए होंगे, जो किसी न किसी विज्ञान पर आधारित रही हो।
कथा कहानियों में ही सही ,लेकिन उस समय के जिन यंत्रों का जिक्र किया जाता है, मसलन रामायण और महाभारत में पुष्पक विमान , तमाम तरह के रथ , तमाम तरह के तीर और धनुष , सुदर्शन चक्र। इन्हें बनाने के लिए किसी न किसी वैज्ञानिक सोच की ही जरुरत पड़ी होगी। सिर्फ पूजा पाठ करके इन सभी चीजों का निर्माण किया गया हो, ऐसा संभव नहीं लगता है। किन्ही कारणों से वो सभी पुरानी धरोहरें नष्ट होती चली गईं और शायद भारत के हाथ से विश्व गुरु का तमगा छिन गया। आज भारत एक बार फिर अपनी पुरानी चीजों को हासिल करने की कोशिशों में लग गया है। उसके लिए प्रयास जारी हैं। पीएम मोदी ने इशारों में नहीं बल्कि सार्वजनिक रूप से उन बातों को समझाने की कोशिश की है। उन्होंने यह बताने की कोशिश की है कि अगर विश्व गुरु बनना है तो, आपको क्या करना पडेगा।
कुछ लोग भारत को विश्व गुरु बनाने की वकालत कर रहे हैं। वो लोग अपनी बातों से भारत को विश्व गुरु बनाने का दावा कर रहे हैं। सबको पता है कि आज अमेरिका ,चीन ,फ़्रांस और जर्मनी जैसे कई और देश, अगर हमसे आगे हैं तो उसके पीछे सबसे बड़ा कारण उनकी वैज्ञानिक सोच का ही है। सबको पता है कि परमाणु बम का दंश झेलने वाला देश, जापान भी आज अगर बहुत आगे है तो वैज्ञानिक सोच की वजह से ही है। उन देशों के लोगों ने किसी आडम्बर या किसी अंधविश्वास जैसी चीजों के चक्कर में ना पड़के सिर्फ और सिर्फ अपनी सांस्कृतिक बुनियाद और वैज्ञानिक सोच के कारण ही अपने आपको और देश को आगे बढ़ाया। पीएम मोदी अब देश के लोगों को इससे ज्यादा खुलकर कुछ नहीं बोल सकते। अब देश के लोगों को तय करना है कि वो पीएम मोदी की बातों को कितनी गंभीरता से लेते हैं, और उस पर कितनी गंभीरता पूर्वक विचार करते हैं।
वैसे देश के बाकी लोगों का तो पता नहीं, पर भारत के वैज्ञानिकों को मोदी की बातें, अच्छी तरह से जरूर समझ में आ गई होंगीं। भारत के वैज्ञानिक शुरू से ही प्रतिभाशाली रहे हैं। बस उन्हें देश के नेतृत्व से सहयोग ,प्रोत्साहन की अपेक्षा रहती है। साथ ही साथ उन्हें इस बात की भी अपेक्षा रहती है कि उन्हें अपने कार्यों को अंजाम देने के लिए जरुरत के हिसाब से सरकार की तरफ से संसाधन मिलता रहे। निश्चित तौर से देश के वैज्ञानिकों को पीएम मोदी की तरफ से वह सब कुछ मिल रहा है। उम्मीद की जानी चाहिए कि हमारे देश के वैज्ञानिक, बेहतर से बेहतर करने की कोशिशों में लग जायेंगे। देश के बाकी लोग कुछ करें या ना करें, सिर्फ देश के वैज्ञानिक ही अगर चाह लें तो बहुत जल्द हमारा देश एक बार फिर से विश्वा गुरु का खिताब हासिल कर लेगा।
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