राष्ट्रीय ध्वज को तैयार करने वाले पिंगली वेंकैया की पुण्यतिथि आज, जानिए कैसे तैयार हुआ तिरंगे की डिजाइन
देश में आज पिंगली वेंकैया को उनकी जन्मतिथि के मौके पर याद किया जा रहा है।
पिंगली वेंकैया |
भारत के इतिहास में आज का दिन बेहद अहम है। भारत की शान और देश की पहचान तिरंगा के लिए भी आज का दिन यानी दो अगस्त महत्वपूर्ण है। दरअसल काफी कम लोगों को पता है कि दो अगस्त के दिन ही राष्ट्रीय ध्वज के डिजाइनर पिंगली वैंकेया का जन्म हुआ था। इस वर्ष आजादी के अमृत महोत्सव मनाए जाने के दौरान केंद्र सरकार ने पिंगली वैंकेया को भी सम्मानित करने का निर्णय लिया है। उनकी जन्मतिथि के मौके पर सरकार खास डाक टिकट भी जारी करने जा रही है।
बता दें कि जुलाई 31 को हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात कार्यक्रम के संबोधन के दौरान उन्होंने पिंगली वैंकेया का जिक्र करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की थी। इससे पूर्व वर्ष 2009 में उनके सम्मान में केंद्र सरकार ने डाक टिकट जारी किया था। वर्ष 2014 में ऑल इंडिया रेडियो के विजयवाड़ा स्टेशन का नाम उनके नाम पर रखा गया था। वर्ष 2021 में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने भी पिंगली वेंकैया को भारत रत्न दिए जाने की मांग की थी।
आंध्रप्रदेश में हुआ जन्म
राष्ट्रीय ध्वज को डिजाइन करने वाले पिंगली वैंकेया का जन्म दो अगस्त, 1876 को आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम शहर के पास भाटलापेनुमरू में हुआ था। पिंगली ने ब्रिटिश भारतीय सेना में सैनिक के तौर पर भी युद्ध करने के लिए दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की थी। माना जाता है कि ब्रिटिश सैनिकों के बीच यूनियन जैक की राष्ट्रीयता की भावना का पिंगली पर काफी गहरा प्रभाव पड़ा था।
वर्ष 1921 में मिली मंजूरी
वर्तमान के राष्ट्रीय ध्वज को मंजूरी मिलने से देश के लिए कई राष्ट्रीय ध्वज डिजाइन किए गए। वर्षों तक इसमें बदलाव होते रहे। एक ही बार में देश को ये राष्ट्रीय ध्वज नहीं मिला। इसे पिंगला वैंकेया ने वर्ष 1921 में बनाया था। इस डिजाइन को विजयवाड़ा में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने मंजूरी दी थी।
वेंकैया के प्रस्ताव में हुआ था बदलाव
दरअसल वर्तमान का तिरंगा वेंकैया ने महात्मा गांधी के सुझाव के बाद तैयार किया था। वेंकैया ने हरी और नारंगी धारियों वाला तिरंगा पेश किया था। तिरंगे के बीच में गांधीवादी चरखा पेश किया गया था। गांधी जी के सुझाव पर इस तिरंगे के बीच में सफेद पट्टी जोड़ी गई, जिसके बाद वर्तमान तिरंगा अपने वास्तव रूप में आया।
तिरंगा बना राष्ट्रीय झंडा
वर्ष 1921 में कांग्रेस की बैठकों में तिरंगा को अपनाया गया। देश में आधिकारिक रूप से वर्ष 1931 में वर्तमान तिरंगे को पूर्ण मान्यता मिली थी। आगे चलकर तिरंगा ही अहिंसक स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतीक बना था।
पिंगला को मिली गुमनामी
भारत को देश की पहचान, तिरंगा देने वाले अपने अंतिम दिनों में खुद ही पहचान को मोहताज थे। वर्ष 1963 में उनकी मृत्यु गुमनामी और बेहद गरीबी में हुई।
| Tweet |